सरकारी गलियारों में नीति आयोग का स्टेटस अब रहस्यमय सवाल बनता जा रहा है। पीएमओ के एक ऑर्डर से भ्रम और बढ़ गया है। इसके तहत आयोग के उपाध्यक्ष को सैलरी और भत्तों के हिसाब से डाउनग्रेड कर कैबिनेट सेक्रेटरी लेवल का कर दिया गया है, लेकिन उनका दर्जा पहले की तरह कैबिनेट मंत्री के स्तर पर रखने की बात है।
नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार, यह साफ नहीं हो पा रहा है कि आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया संबंधित कैबिनेट पैनल का हिस्सा होंगे या नहीं, क्योंकि ऑर्डर में इस बारे में कोई जिक्र नहीं है। 15 अप्रैल, 2015 को जारी प्राइम मिनिस्टर्स ऑफिस के ऑर्डर में कहा गया है- ‘नीति आयोग के उपाध्यक्ष और फुल टाइम सदस्यों को सिर्फ पहले की परंपरा को ध्यान में रखते हुए क्रमश: कैबिनेट और राज्य मंत्री का दर्जा दिया जाएगा।’
ऐतिहासिक तौर पर योजना आयोग के उपाध्यक्ष का दर्जा कैबिनेट मंत्री का होता है, जबकि इसके पूर्णकालिक सदस्यों को राज्य मंत्री का दर्जा हासिल था। हालांकि, आयोग से जुड़े पीएमओ के ऑर्डर में थोड़ा अंतर है, जो बाकी दो फुलटाइम मेंबर्स वी के सारस्वत और बिबेक देबराय पर भी लागू होता है। ऑर्डर में कहा गया है कि जहां तक अधिकारों की बात है, तो नीति आयोग के फुल-टाइम मेंबर्स भारत सरकार के सेक्रेटरी लेवल के वेतन, डीए और अन्य भत्तों के हकदार होंगे। आयोग के उपाध्यक्ष का टर्म कैबिनेट सेक्रेटरी की तरह होगा।’ बहरहाल, पीएमओ के ऑर्डर की एक और व्याख्या की जा रही है। कैबिनेट मिनिस्टर की बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है। इसके अलावा उन्हें तमाम भत्ते मिलते हैं। यह कैबिनेट सेक्रटरी की बेसिक सैलरी से कम है। कैबिनेट सेक्रेटरी की बेसिक सैलरी 90,000 रुपये महीना और सेक्रेटरी की बेसिक सैलरी 80,000 रुपये महीना है।