पटना ब्लास्ट मामले में एनआईए और छत्तीसगढ़ पुलिस आमने सामने आ गये हैं.एनआई इसमें आईएम के तार खोज रही है तो छत्तीसगढ पुलिस सिमी के. आखिर क्या है माजरा?
एनआईए और छत्तीसगढ़ पुलिस के अलग अलग बयानों से यह साफ होता जा रहा है कि दोनों एजेंसियों में न सिर्फ तालमेल की कमी है बल्कि एक दूसरे के ऊपर तोहमत भी लगाने लगे हैं.
पिछले दिनों एनआईए ने छत्तीसगढ़ पुलिस की मीडिया में अपनी बात कहने पर ऐतराज जताया था. तो दूसरे ही दिन छत्तीसगढ के डीजीपी ने बाजाब्ता पत्रकारों को बुला कर कई ऐसी सूचनायें सार्वजनिक की जो एनआईए और बिहार पुलिस के अनुसंधान और दावे के बिल्कुल बरअक्स है. इस संवेदनशील मामले पर अलग अलग जांच एजेंसियों की अलग अलग राय सामने आने से न सिर्फ इनमें आपसी तालमेल की कमी उजागर होने लगी है बल्कि इनके बीच अहम के टकराव भी दिखने लगे हैं.
दर असल पिछले दिनों एनआईए के एक सूत्र ने आरोप है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने जांचकर्ताओं की रायपुर में उपस्थिति की खबर मीडिया को दे दी जिससे इंडियन मुजाहिदीन के संचालकों को वहां से भागने में मदद मिल गयी.
अहम का टकराव तो नहीं ?
मालूम हो कि एनआईए ने छत्तीसगढ पुलिस को इनपुट दिया था कि पटना ब्लास्ट के बाद आईएम के कई संचालक फरार हो कर छत्तीसगढ की राजधानी में जा छुपे थे.एनडीटीवी.कॉम के अनुसार एनआईए के सूत्रों का आरोप है कि रायपुर पुलिस ने एनआईए की गतिविधियों की सूचना मीडिया को दे दी जिसके कारण आईएम के संचालकों को इसकी सूचना मिल गयी और वे वहां से निकल भागने में कामयाब रहे.
लेकिन एनआईए के इस बयान को छत्तीसगढ़ पुलिस ने नागवार माना और दूसरे ही दिन यानी बुधवार को पुलिस महानिदेशक रामनिवास ने पत्रकारों को बुला कर जो बातें कहीं वह एनआईए के अनुसंधान थ्यूरी के बिल्कुल उलट हैं. रामनिवास ने कहा कि छत्तीसगढ पुलिस ने कुछ ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है जिससे पता चलता है कि पटना और बोध गया ब्लास्ट में सिमी का हाथ है. रामनिवास ने कहा कि रायपुर से गिरफ्तार उमेर सिद्दीकी सिमी का कार्यकर्ता है और उससे जो जानकारी मिली है उससे पता चलता है कि उस विस्फोट में उसकी संलिप्तता थी. छत्तीसगढ़ पुलिस ने दावा किया है कि उमेर और उसके साथियों ने भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की कानपुर, दिल्ली व छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में होने वाली रैलियों में भी गड़बड़ी फैलाने की योजना बनाई थी. छत्तीसगढ पुलिस का दावा इसलिए भी एनआईए के विपरीत है क्योंकि डीजीपी रामनिवास के अनुसार पिछले सप्ताह सिमी के सदस्यों के साथ गिरफ्तार उमेर सिद्दीकी ने सात जुलाई को बोधगया मंदिर में हुए धमाकों में मास्टरमाइंड की भूमिका निभाई थी। उसने 27 अक्टूबर को पटना के गांधी मैदान में भाजपा की हुंकार रैली के दौरान हुए सीरियल ब्लास्ट के आरोपियों को रायपुर में पनाह देने की बात भी कबूली है. पुलिस के अनुसार पनाह वालों में शातिर हैदर अली उर्फ अब्दुल्ला भी है जो फरार है.
आखिर हैदर अली सिमी का या आईएम का?
वहीं दूसरी तरफ एनआईए ने इस हफ्ते के शुरू में एनआईए के पांच आप्रेटिव्स के नाम और फोटो सार्वजनिक किये हैं जो इंडियन मुजाहिदीन यानी आईएम के सदस्य बताये गये हैं. एनआईए ने इनके सर पर 5 लाख से 10 लाख रुपये का इनाम भी रखा है. इनमें तहसीन अख्तर, हैदर अली, नुमान अंसारी, तौफीक अंसारी और अब्दुल्लाह के नाम शामिल हैं. इसमें चौंकाने वाली बात यत यह है कि जिस हैदर अली को एनआईए आईएम का सद्सय बता रही है, उसे छत्तीसगढ़ पुलिस सिमी का सदस्य बता कर एनआईए की जानकारियों को एक तरह से चैलेंज कर दिया है.
यहां सबसे बड़ी प्रशासनिक संकट यह है कि एक ही मामले के विस्फोट को एक एजेंसी ( छत्तीसगढ पुलिस) किसी संगठन से जोड़ रही है तो आतंकवाद के अनुसंधान के लिए विख्यात एजेंसी यानी एनआईए किसी दूसरे संगठन का बता रही है.
अब ऐसी स्थिति में सबसे बड़ा सवाल यह है कि दोनों एजेसियों के दावे में से किसके दावे को सही माना जाये?