पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने अहम फैसले में राज्य में सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली प्रारंभिक जांच परीक्षा (पीटी) में आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है.
इस बीच इस विवादित फैसल पर सोशल मीडिया में बहस शुरू हो गयी है. बड़ी संख्या में लोगों ने इस फैसले को आरक्षण श्रेणी के छात्रों के साथ भेदभाव करने का अदालती हस्तक्षेप बताया है.
न्यायाधीश नवनीति प्रसाद सिंह की पीठ ने कृष्णा सिंह एवं कई अन्य प्रतियोगियों की याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाते हुए कहा कि यह फैसला तमाम उन प्रतियोगी परीक्षाओं पर लागू होगा जहां पीटी यानी प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की जाती है.
यह निर्णय बीपीएससी की 53 वीं से लेकर 55 वीं संयुक्त परीक्षा के सिलसिले में आया है. कोर्ट ने बीपीएससी की इन परीक्षाओं के परीक्षाफल पर लगी रोक हटा ली है.
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से कहा था कि पीटी में भी दो तरह का पैमाना अपनाया जा रहा है, जबकि यह परीक्षा प्रतिभागियों के स्क्रीनिंग के लिए आयोजित की जाती है.
कोईट ने कहा है कि ऐसा करने से संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 (1) का उल्लंघन होगा. कोर्ट का कहना है कि नियमानुसार किसी को भी संवैधानिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है.