गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने को लेकर देश-विदेश तक चर्चित और कई पुरस्कारों और सम्मान से नवाजे गए कथित गणितज्ञ आनंद का एक चेहरा और भी है। गरीबों के कथित रहनुमा बने आनंद ने पटना में करोड़ो की संपत्ति अर्जित कर रखी है और राजधानी में अपनी मां जयंती देवी और भाई प्रणव कुमार के नाम से खरीदे गए कई किमती भूखंड के वो अपरोक्ष मालिक हैं।
विनायक विजेता की रिपोर्ट
पटना के जक्कानपुर थाना अंतर्गत चांदपुर-बेला में ही आनंद ने अपनी मां और भाइ्र के नाम पर पांच कीमती प्लाटों की खरीदारी की। यह सभी खरीदारी वर्ष 2013 में की गई। रजिस्ट्री कार्यालय में इन खरीदारी से संबंधित डीड नंबर 14218/2013 में यह स्पष्ट है। इस डीड के में आनंद की मां जयंती देवी, पत्नी स्व. राजेन्द्र्र प्रसाद व प्रणव कुमार, पिता स्व. राजेन्द्र प्रसाद के नाम से कई भूखंड चांदपुर बेला में निबंधित कराए गए हैं जिसका खाता नंबर 6, 6 और 14 है जबकि प्लॉट नंबर 25, 25 और 28 है।
इस डीड में जमीन खरीदने वाले व्यक्ति के पता के स्थान पर शांति कुटीर, शांति पथ, चांदपुर बेला का पता दर्ज है।
सूत्र बताते हैं कि पटना सहित कुछ अन्य राज्यों में भी आनंद ने बे-हिसाब संपत्तियां अर्जित कर रखी हैं जिसकी कीमत करोड़ो में है। आनंद कुमार कुछ उन चुनिंदा कोंचिंग संचालकों में से हैं जो संगीनों के साये में भी रहते हैं। गरीब बच्चों को पढ़ाने का दावा करने वाले आनंद को आखिर किस बात का भय है।
आईआईटी में सफलता के झूठे दावे
पिछले जून माह में आए आईआई्रटी मेन और एडवांस के परिणाम को लेकर भी आनंद और उनकी संस्था सुपर-30 विवादों में है। आनंद ने दावा किया था कि सुपर-30 में पढ़ने वाले अत्यंत गरीब 30 बच्चों में से 25 ने सफलता पाई जबकि वास्तविकता यह है कि इन बच्चों में एक फिट्जी का छात्र है जबकि सात बच्चों ने ‘ऑल इंडिया टेस्ट सीरीज’ में दो साल का कोर्स किया था जिसका सलाना खर्च लगभग 30 हजार रुपये है।
अब सवाल यह उठता है कि दो वर्षो में इस पढ़ाई में 60 हजार अधिक रुपये खर्च करने वाले बच्चे आखिर सुपर-30 में आते ही गरीब कैसे हो गए। आनंद ने बीते जून माह में इन बच्चों के साथ तस्वीर भी खिचवायी और तस्वीर सामने आने के बाद ही अत्यंत ही चालाक माने जाने गणित के इस शिक्षक से प्रतिवर्ष उनके सुपर-30 की कथित सफलता पर विवाद खड़ा हो जाता है. प्रतिवर्ष उनके संस्थान में पढ़ने वाले गरीब बच्चों के नाम, उनका पता और प्रतियोगी परीक्षा मेंबैठने वाले छात्रों के क्रमांक को सार्वजनिक करने की मांग विभिन्न संस्थाएं करती रहीं हैं पर आनंद कुमार ने कभी भी ऐसे छात्रों का नाम परीक्षा के पूर्व सार्वजनिक नहीं किया। इसके कारण उनके दावे पर संदेह स्वाभाविक है.
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