बिहार विधानसभा के रिक्‍त नौ सीटों के लिए अब उपचुनाव नहीं होगा। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, यदि संसद या विधानमंडल की रिक्‍त सीटों की कार्यावधि एक वर्ष से कम बची हो तो उन सीटों के लिए उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है। शेष अवधि के लिए वह सीट खाली ही रहेगी। यही कारण है कि अब रिक्‍त नौ सीटों पर उपचुनाव नहीं होगा। इससे बर्खास्‍त विधायकों को राहत मिल सकती है कि उन्‍हें उपचुनाव का सामना नहीं करना पड़ेगा। ओबरा विधानसभा सीट विधायक का चुनाव अवैध घोषित होने के कारण रिक्‍त है।

बिहार ब्‍यूरो प्रमुख

 

नीतीश कुमार को खुली चुनौती देने वाले जदयू के 18 बागी विधायकों में से आठ को विधानसभा से बर्खास्‍त किया जा चुका है। दो पर अभी मामला लंबित है, जबकि शेष आठ को अभयदान दे दिया गया है। बिहार की संसदीय राजनीति पर नजर रखने वाले एक वरिष्‍ठ पत्रकार की मानें तो बगावत के कई राजनीतिक पेंच हैं। संसदीय कार्यमंत्री श्रवण कुमार ने बर्खास्‍तगी का आधार ह्वीप का उल्‍लंघन नहीं बनाया है। 18 विधायकों ने ह्वीप का उल्‍लंघन कर क्रास वोटिंग की थी। जदयू ने निर्दलीय उम्‍मीदवारों के प्रस्‍तावक और चुनाव एजेंट बनने को आधार बनाया है। दस बागी विधायक निर्दलीय उम्‍मीदवारों के प्रस्‍तावक और चुनाव एजेंट बने थे, जबकि शेष आठ ने सिर्फ निर्दलीय उम्‍मीदवार के खिलाफ मतदान किया था। चुनाव की अन्‍य प्रक्रियाओं से वह अलग थे।

 

बर्खास्‍त आठ विधायकों में से चार का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है और शेष चार भी कल स्‍पीकर के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं। संभव है कि हाई कोर्ट स्‍पीकर के फैसले का निरस्‍त कर दे तो इन विधायकों की सदस्‍यता बहाल हो सकती है। मामला आगे भी बढ़ सकता है। हाईकोर्ट का फैसला जो भी हो, इतना तय है कि अब रिक्‍त मानी जा रही सीटों पर उपचुनाव नहीं होगा। जबकि एक अन्‍य ओबरा विधानसभा सीट भी पटना हाईकोर्ट के फैसले में विधायक सोमप्रकाश सिंह के चुनाव को अवैध घोषित कर देने का कारण रिक्‍त है। उनका मामला अभी सर्वोच्‍च न्‍यायालय में विचाराधीन है। उल्‍लेखनीय है कि नौ सीटें अभी रिक्‍त हैं। इसमें बाढ़, घोसी, छातापुर, महुआ, दीघा, साहेबगंज, कांटी, सकरा और ओबरा की सीटें शामिल हैं।

By Editor


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