यादें: मिथिलेश कुमारी मिश्र

बिहार राष्ट्रभाषा परिषद की निदेशक रहीं विदुषी लेखिका डा मिथिलेश कुमारी मिश्र हिंदी और संस्कृत ही नहीपालीप्राकृतदक्षिण भारतीय भाषाओं समेत अनेक भाषाओं की ज्ञाता और व्याख्याता थीं। कम वय में हीं उन्हें वैधव्य का दुःख झेलना पड़ा। किंतु जीवन के कठोर अनुभवों और पीड़ा से उन्होंने अपने साहित्य का उपकरण तैयार किया और साहित्यदेवता को हीं अपना पति बना लिया। जीवनपर्यन्त उन्होंने केवल साहित्य कियासाहित्य जिया। उत्तरप्रदेश की होकर भी वो बिहार की होकर रहीं। उन्होंने अपनी अनवरत लेखनी से साहित्य संसार को जो समृद्धि दी उस पर बिहार को सदैव गौरव रहेगा।

यादें: मिथिलेश कुमारी मिश्र

यह बातेंआज यहाँ साहित्य सम्मेलन मेंविदुषी कवयित्री की ६४वीं जयंती पर आयोजित समारोह और कविगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा किमिथिलेश जी अपनी विद्वता के कारण संपूर्ण भारतवर्ष में पूजित थीं। दक्षिण भारत में उनका विशेष सम्मान था। वे देश भर के साहित्यिकसमारोहों में आदरपूर्वक आमंत्रित की जाती थीं।

समारोह का उद्घाटन करते हुए सुप्रसिद्ध विद्वान डा रमाकान्त पांडेय ने कहा किमिथिलेश जी की लेखनी और वाणी में अद्भुत सामंजस्य था। वह जितना अच्छा लिखती थींउतना हीं अच्छा बोलती भी थीं। उनकी लिखने और बोलने की भाषा अत्यंत परिष्कृत और मर्यादित थी।

इसके पूर्व सम्मेलन के साहित्य मंत्री डा शिववंश पांडेय ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार पूर्वक चर्चा की और कहा कि मिथिलेश जी ने साहित्य हीं नही साहित्यकारों का भी सृजन किया। उन्होंने संस्कृत और हिंदी समेत समस्त भारतीय भाषाओं के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया था। वह बहुमुखी प्रतिभा की लेखिकाकवयित्री और पत्रकार थीं।

सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्तपं शिवदत्त मिश्रडा शंकर प्रसादडा कल्याणी कुसुम सिंहडा सतीश राज पुष्करणाडा अशोक प्रियदर्शीभगवती प्रसाद द्विवेदी तथा बच्चा ठाकुर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर आयोजित कविगोष्ठी का आरंभ राज कुमार प्रेमी की वाणीवंदना से हुआ। कवयित्री पुष्पा जमुआरकमला प्रसादऋषिकेश पाठककवि घनश्यामवीणा कर्णसुमेधा पाठकसागरिका रायडा विनय कुमार विष्णुपुरीपंकज प्रियमकुंदन आनंदजय प्रकाश पुजारीप्रभात धवनशालिनी पांडेयराम किशोर सिंह विरागी‘, डा रामाकान्त पाण्डेय तथा श्रद्धा कुमारी ने अपनी कविताओं में मिथिलेश जी को स्मरण किया।

समारोह मेंडा सुनील कुमार उपाध्यायडा राम विलास चौधरीविजय विद्यार्थीवीरेंद्र कुमार सिंहअनिल कुमार सिन्हाडा राम नारायण सिंहडा इंद्रकांत झारामाशिष ठाकुरडा नागेश्वर प्रसाद यादवसच्चिदानंद सिन्हाप्रेम समीर तथा वासुदेव मिश्र समेत बड़ी संख्या में साहित्यसेवी एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवादज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।

By Editor


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