बच्चों के खिलाफ होने वाले लैंगिक अपराध के सिर्फ 3 फीसद मामले ही पुलिस व अदालतों तक पहुंचते हैं जबकि 97 प्रतिशत मामले पुलिस व न्यायलय में पहुंचते ही नहीं.

लैंगिक अपराध से बच्चों की सुरक्षा विषय पर आयोजित कार्यशाल में न्या विशेषज्ञों ने इस बात को रेखांकित किया कि बच्चों के खिलाफ सेक्सुअल ह्रासमेंट के 97 फीसद मामले दर्ज नहीं होते.

यह कार्यशाला पटना के गायघाट स्थित बिहार न्यायिक अकादमी में आयोजित की गयी थी.

दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन बिहार न्यायिक अकादमी, यूनिसेफ और चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के संयुक्त रूप से किया था. अकादमी के अध्यक्ष इकबाल अहमद अंसारी ने बाल यौन शोषण मामले में लोगों खास कर बच्चों को जागरुक करने को जरूरी बताया जबकि चाणक्य विधि विश्वविद्यालय के कुलसचिव एस पी सिंह ने बच्चों के प्रति हो रहे अपराध पर रौशनी डालते हुए कहा कि बच्चों को इन संवेदनशील मामले में जागरूक किया जाना चाहिए क्योंकि बच्चों के साथ दुष्कर्म की घटना दिन-प्रतिदिन भारत में बढ़ती जा रही है.

पटना हाईकोर्ट के न्यायधीश एहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि वर्ष 2011 में 7211 मामले दर्ज हुये. वर्ष 2012 में इसकी संख्या 21 प्रतिशत बढ़कर 8541 हो गई. वक्ताओं ने स बात को भी रेखांकित किया कि लैंगिक शोषण पर काबू पाने के लिए बाल कल्याण समिति और न्यायालय के बीच समन्वय स्थापित होना जरूरी है.

 

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