मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में लड़कियों के अरमान को पंख लगाने के लिए सरकार की ओर से किये गये प्रयासों की चर्चा करते हुये आज कहा कि बेटों की तरह बेटियों के जन्म लेने पर परिवार खुश होगा तभी समाज बदलेगा।
श्री कुमार ने 70 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर पटना जिले के फुलवारीशरीफ प्रखंड में रामपुर-फरीदपुर पंचायत के पसही महादलित टोला में आयोजित झंडोत्तोलन कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि सरकार ने बच्चियों के शैक्षणिक एवं उनके करियर के विकास के लिए काफी काम किये हैं। साथ ही बाल विवाह एवं दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को समाप्त करने के लिए अभियान भी चलाया है। उन्होंने कहा कि समाज तभी बदलेगा जब लोग बेटों की तरह बेटियों के जन्म लेने पर भी खुशी मनायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास के साथ-साथ बिहार में बाल विवाह और दहेज प्रथा उन्मूलन के लिए भी अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ कानून होने के बावजूद ऐसी घटनायें देखने को मिलती हैं। बाल विवाह के कारण कम उम्र में गर्भधारण करने से महिलायें मौत की शिकार हो जाती हैं और उनसे जो बच्चे पैदा होते हैं वे बौनेपन के शिकार हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि पहले दहेज प्रथा संपन्न घरानों तक सीमित था लेकिन अब यह गरीब-गुरबों तक फैल गया है। इसके खिलाफ सशक्त अभियान पूरे बिहार में चलाया जा रहा है इसलिए 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के की शादी नहीं होनी चाहिए।
श्री कुमार ने कहा कि लड़कियों एवं महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए साइकिल योजना, पोशाक योजना चलाने के साथ ही स्वयं सहायता समूहों का भी गठन किया जा रहा है। लड़कियों को मिलने वाली पोशाक की राशि बढ़ाने के साथ ही मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत बेटी पैदा होने के समय उसके माता-पिता को दो हजार रुपये, आधार से लिंक कराए जाने पर एक हजार रुपये और सम्पूर्ण टीकाकरण होने पर दो हजार रुपये दिये जा रहे हैं ताकि बेटों की तरह बेटी पैदा होने पर लोग खुशियां मना सकें। इसके अलावा इंटर पास करने वाली अविवाहित लड़कियों को 10 हजार रुपये और स्नातक उत्तीर्ण होने पर लड़की विवाहित हो या अविवाहित उसे 25 हजार रुपये राज्य सरकार की ओर से दिये जा रहे हैं। इस तरह साइकिल और पोशाक के अलावा एक लड़की के पैदा होने से लेकर उसे स्नातक की पढ़ाई पूरी करने तक राज्य सरकार उस पर 54100 रुपये खर्च कर रही है।