बी.जे.पी का घोषणापत्र पार्टी के बड़बोलेपन का एक और नमूना है. इसमें जमकर फेंका गया है लेकिन असली मुद्दों से बचने की कोशिश की गई है या उसपर पर्दा डालने या छुपाने की कोशिश की गई है.
आनंद प्रधान
उदाहरण के लिए महंगाई और भ्रष्टाचार को ही लीजिए जिन दो मुद्दों के कारण राष्ट्रीय जनमत सत्तारुढ़ यू.पी.ए के खिलाफ हो गया है और जिसे बी.जे.पी सबसे ज्यादा भुना रही है, उन दोनों ही मुद्दों पर यानी पार्टी भ्रष्टाचार और महंगाई को कैसे काबू में करेगी, उसपर घोषणापत्र में हवाई दावों/सतही बातों के अलावा कोई ठोस उपाय और कार्यक्रम का एलान नहीं है.
महंगाई के ही मुद्दे को लीजिए. महंगाई को रोकने के लिए जिन क़दमों की सबसे ज्यादा जरूरत है, उसपर घोषणापत्र में रहस्यमय चुप्पी है. गौर कीजिए:
१) महंगाई के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार कारणों में एक है- कृषि जिंसों में अत्यधिक सट्टेबाजी. लेकिन बी.जे.पी कृषि जिंसों के वायदा कारोबार को बंद कराने के मुद्दे पर खामोश है. क्यों?
२) महंगाई बढ़ाने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बढोत्तरी एक और बड़ा कारण है. यह सबको पता है कि एन.डी.ए सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों की नियंत्रित मूल्य व्यवस्था (ए.पी.एम) को रद्द करके खुले बाजार की मूल्य नीति को लागू किया था. इसे यू.पी.ए-1 की सरकार ने आंशिक रूप से रद्द कर दिया था लेकिन यू.पी.ए-2 की सरकार ने फिर से खुले बाजार की मूल्य नीति को लागू कर दिया है जिससे पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतें बेतहाशा बढ़ीं है.
सवाल यह है कि क्या बी.जे.पी पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों को तय करने में खुले बाजार की नीति पर चलेगी या फिर से ए.पी.एम को लागू करेगी?
३) घोषणापत्र में प्राकृतिक गैस की कीमतों के मामले पर भी चुप्पी है. सवाल यह है कि बी.जे.पी गैस की 4.20 डालर प्रति एमबीटीयू की कीमत के पक्ष में है या 8.40 डालर प्रति एमबीटीयू के पक्ष में है?
४) घोषणापत्र में बुनियादी/आवश्यक वस्तुओं की कीमतें सरकार द्वारा निश्चित करने और बांधने की नीति का कोई उल्लेख नहीं है. क्यों?
इस चुप्पी के अलावा महंगाई को कैसे काबू में करेंगे, इस मुद्दे पर घोषणापत्र में कहा गया है कि जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए कड़े उपाय और विशेष अदालतें स्थापित की जाएंगी. इसके अलावा दाम स्थिरीकरण कोष और राष्ट्रीय कृषि बाजार के विकास की बात की गई है.
लेकिन तथ्य यह है कि बी.जे.पी/एन.डी.ए की सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम’1955 में संशोधन करके उसे हल्का-ढीला बनाया था और जमाखोरों-कालाबाजारियों-मुनाफाखोरों को राहत दी थी. सवाल यह है कि क्या बी.जे.पी आवश्यक वस्तु अधिनियम को कड़ा बनाने और उसमें विशेष अदालतें बनाने का प्रावधान करेगी? अगर हाँ तो इसका जिक्र घोषणापत्र में क्यों नहीं है?
दूसरे, इस कानून को लागू करने का जिम्मा राज्य सरकारों का है लेकिन कितनी राज्य सरकारें खासकर भाजपा की सरकारों और यहाँ तक कि गुजरात की मोदी सरकार ने महंगाई पर काबू पाने के लिए जमाखोरों/कालाबाजारियों के खिलाफ कड़े कदम उठाये हैं?