आज जदयू के विधान परिषद उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के साथ परिषद में वोटों की संख्या के गणित पर बहस शुरू हो गयी है। जदयू ने रसुल गुलाम बलियावी और सीपी सिंह को विधान परिषद भेजने की घोषणा कर दी है।
वीरेंद्र यादव
इस बीच आज दोपहर बाद राजद कोटे से तीन उम्मीदवार देने की चर्चा शुरू हो गयी। हालांकि राजद के अधिकृत सूत्रों ने इसकी पुष्टि नहीं की है। फिर भी चर्चा को सही मान लिया जाए तो राजद का तीसरा उम्मीदवार महागठबंधन के लिए घातक हो सकता है। राजद को अपने उम्मीदवार को जीतवाने के लिए 8 अतिरिक्त वोटों की जरूरत पड़ेगी। क्योंकि अपने 155 वोटों द्वारा 5 उम्मीदवारों को जीत पक्की करवाने के बाद महागठबंधन के पास मात्र 23 अतिरिक्त वोट बचता है और जीत के लिए 31 वोट चाहिए। वैसे में विधान सभा में अतिरिक्त 8 वोट है नहीं। चार निर्दलीय और तीन माले के वोट ही अतिरक्त वोट हैं। शेष 58 वोट एनडीए का है।
निलंबित विधायकों को राजद को देगा जदयू
फिर महागठबंधन के तीन विधायक गोपाल मंडल, राजवल्लभ यादव व सरफराज अहमद अपने-अपने पार्टी से निलंबित हैं। इन तीनों निलंबित विधायकों का वोट राजद उम्मीदवार को ही मिलेगा, कहना मुश्किल है। यदि इन निलंबित विधायकों ने वोट का बहिष्कार कर दिया तो राजद प्रमुख लालू प्रसाद को ही फजीहत झेलनी होगी। सामान्य सी बात है कि जदयू 71 विधायकों में विश्वस्त 62 विधायकों को ही अपने उम्मीदवार के लिए आवंटित करेगा। दो निलंबित विधायक गोपाल मंडल और सरफराज अहमद को राजद के तीसरे उम्मीदवार के लिए आवंटित करेगा। तकनीकी तौर पर ह्विप भी अपनी पार्टी में पक्ष के मतदान के लिये होता है, दूसरी पार्टी के पक्ष में मतदान के लिए नहीं। वैसे भी राज्यसभा उपचुनाव में कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि ह्विप सिर्फ सदन की कार्यवाही के लिए प्रभावी होगा, सदन के बाहर मतदान के लिए नहीं।
मतदान के पक्ष में कोई नहीं
वास्तविकता है कि विधान परिषद चुनाव में सभी पक्ष मतदान टालना चाहते हैं। क्योंकि मतदान के दौरान विधायकों का आवंटन परेशानी का सबब बन सकता है। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी महागठन को ही आएगी। कांग्रेस और राजद दोनों को अपने विधायकों को जीतवाने के लिए जदयू, माले और निर्दलीय वोटों का समर्थन चाहिए। और काम काफी मुश्किल लग रहा है।