कोलकाता हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस सीएस कर्णन ने कहा है कि न्यायपालिका हमारे ( दलितों पिछड़ों) विरोधी है
अनुसूचित जाति/जनजाति कर्मचारी संघ,बिहार का संविधान-लोकतंत्र-आरक्षण बचाओ सम्मेलन संपन्न हुआ।. संघ ने इस सम्मेलन के बाद प्रेस विज्ञप्ति जारी की है.
सम्मेलन पटना के बापू सभागार गाँधी मैदान पटना मे हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरिकेश्वर राम ने किया और सभा का संचालन संघ के महासचिव देवेन्द्र रजक ने किया।
कार्यक्रम का उद्घाटन जस्टिस सी एस कर्णन ने दीप प्रज्वलित कर किया जिनका साथ उर्मिलेश जी ,सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट के के एल गौतम,जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष एन बाला जी साँई,हरिकेश्वर राम,देवेन्द्र रजक,विश्वनाथ चौधरी,ओमप्रकाश माँझी,वीरेन्द्र कुमार आदि ने दिया।
सभी अतिथियों और मंचाशीन नेताओं को बूके देकर स्वागत किया। विनोद कुमार चौधरी के स्वागत भाषण के बाद महासचिव देवेन्द्र रजक ने संघ की गतिविधियों का लेखा जोखा रखते हुए ओम प्रकाश माँझी को विषय प्रवेश कराने हेतु आमंत्रित किया।
ओमप्रकाश माँझी ने विषय प्रवेश कराते हुए सम्मेलन के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए बताया कि आज भी सरकारी संस्थाओं द्वारा दलितों के साथ भेदभाव जारी है जिसे सहन करने के लिए एससी-एसटी समाज अब तैयार नहीं है ।यदि संस्थाए नहीं सुधरी तो व्यापक प्रतिरोध का सामना करना पडेगा।
उपाध्यक्ष विश्वनाथ चौधरी ने संघर्ष के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।
एन बाला जी साँई ने केन्द्र सरकार के जनविरोधी और लोकतंत्र विरोधी आचरण को रेखांकित करते हुए केन्द्र सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया।
उर्मिलेश जी ने स्पष्ट किया कि इस युद्ध मे जो दुश्मनों के खेमे मे है वह भी हमारा दुश्मन है चाहे वो व्यक्ति हमारे ही खेमे से ताल्लुक क्यों न रखता हो ।उन्होंने कहा कि समाजिक न्याय को पारिवारिक न्याय और व्यक्तिगत न्याय का पर्याय बनाने वाले नेताओं के कारण समाजिक न्याय तार तार हुआ है और साम्प्रदायिक ताकतें मजबूत हुई है ।अब समाजिक न्याय को नये सिरे से गढने की जरूरत है और यह काम काँसीराम जी के विरासत के माध्यम से ही संभव है ।आगे उन्होंने कहा कि मै पटना मे बहुत दिनों से आ रहा हूँ लेकिन इतना बड़ा बुद्धिजीवियों का जनसमूह नहीं देखा।
सी एस कर्णन ने कहा कि न्यायपालिका पुरी तरह से हमारे विरोध मे है ।मुझे डिमोरलाईज करने का कोई कसर नहीं छोडा और डट कर हमने मुकाबला किया है ।हमें जेल भेजने के पहले माफी मांगने के लिए कहा गया लेकिन मै डा अंबेडकर का दत्तक पुत्र हूँ,झुकने का सवाल ही नहीं था सो नहीं झूका ।
अंत मे कार्यक्रम के अध्यक्ष हरिकेश्वर राम ने अध्यक्षीय भाषण मे स्पष्ट किया कि संविधान के उस भाग को ब्राह्मणवादी ताकतें हटाना चाहती है जिस भाग मे प्रतिनिधित्व का प्रावधान है । मनुवादी ताकतें मनुस्मृति इस लिए लागू करना चाहती है क्योंकि मनुस्मृति भेदभाव और अन्याय का अवसर प्रदान करती है जबकि संविधान मे दिये गये प्रतिनिधित्व से भेदभाव और अन्याय को धक्का लगता है ।
इसलिए आरएसएस और उसके विचारों पर चलने वाली पार्टियों के मुख्य निशाने पर प्रतिनिधित्व ही है ।निजीकरण,कालेजियम सिस्टम,आउटसोर्सिंग से नियुक्ति,अत्याचार आदि सभी का संबंध प्रतिनिधित्व से जुडा हुआ है । निजीकरण,कालेजियम सिस्टम को लागू करने वालो मे बीजेपी,काँग्रेस,सहित सभी समाजिक न्याय की राजनीति करने वाली पार्टियों भी जबाबदेह है ।
उर्मिलेश जी के बातो का समर्थन करते हुए हरिकेश्वर राम ने आगे कहा कि काँसीराम के विरासत को आगे बढाकर ही समाजिक न्याय को नये सिरे से गढने की जरूरत है ।
छोटे छोटे संगठनों को मिलाकर संघर्ष तेज हुआ है ।समाजिक न्याय आन्दोलन को आगे बढाने की चुनौती हमें है जिसे स्वीकार करने की जरुरत है ।
अंत मे बीरेन्द्र कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया और अध्यक्ष की अनुमति से सम्मेलन की समाप्ति की घोषणा किया।