अमेरिका में नरेंद्र मोदी को सम्मान दिया जा रहा है या समन. इस बात का जवाब अप्रत्यक्ष रूप से पूछा जा रहा है। इसे भारतीय मीडिया को स्पष्ट करना चाहिए.modi.obama

अनंत की कलम से

भारत के प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी जी अमेरिका जाने के रस्ते में ही होते हैं कि वहां की एक संघीय अदालत उनके खिलाफ समन जारी कर देती है. मामला गुजरात दंगों का है. तब वह गुजरात के मुख्यमंत्री ते. गुजरात दंगों में दो हजार से ज्यादा लोग मारे गये. अमेरिकी संघीय अदालत ने इसे ह्युमेन राइट्स का उल्लंघन मानते हुए मोदी के खिलाफ नोटिस जारी किया है.

मामला चाहे मोदी का हो या देश का. लेकिन जब भी इन मामलों से मोदी किसी न किसी रूप में जुड़ते हैं तो भारतीय मीडिया का रवैया आश्चर्य रूप से मोदी भक्ति और उनके गुनगान में लग जाता है, असल मुद्दों को छोड़ कर.

घटनाक्रम

घटनाओं के नजरिये से देखें तो  कई अभूतपूर्व घटनाओं का गवाह रहा महीना। देश को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर गौरव दिलाने घटना घटित हुई बिहार में। ८१० वर्षो के बाद विशव के पहले नालंदा विश्वविद्यालय का विधिवत उदघाटन हुआ। जिसे बख्तियार ख़िलजी ने लगभग ८ सदी पहले नष्ट कर दिया। यही वह विश्वविद्यालय था जिसने भारत को विशव गुरु का तमगा दिया था।

दूसरी बड़ी घटना भी बिहार से ही है। संभवतः यह भी देश की पहली घटना होगी किसी महादलित परिवार के बेटे को मुख्यमंत्री के रूप में लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स में भाषण देने को बुलाया गया।

तीसरी घटना गुजरात से है एक ओर देश मोदी जी चीन के राष्ट्रपति को झूला झूला रहे थे वही दूसरी चीनी सैनिक चुमार क्षेत्र में घुसकर चूमो चूमो चूमो चूमो …. कर रहा था। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि चीनी राष्ट्रपति मोदी के 56 इंच के सीने पर अहमदाबाद से लेकर दिल्ली तक मूंग दलते रहे. चीन की सेना जब मनमोहन सिंह के कार्यकाल में घुसी थी तो लोगों ने मौन मोहन कहा था। इस तर्क के आधार पर मोदी जी को मौनमोदी की संज्ञा नवाजा जा सकता है क्या ?

चौथी घटना न्यूयार्क से है प्रधानसेवक मोदी जी अमेरिका के जाने के रस्ते में ही होते है कि वहा समन जारी कर दिया जाता है। लेकिन भारतीय मीडिया की बिडंबना देखिये की नालंदा विश्वविद्यालय की खबर को तवज्जो ही नहीं दिया। बिहार मीडिया ने भी इसे सर माथे पर नहीं बिठाया। वहीं दूसरी ओर मोदी से जुड़ी घटनाओ को मीडिया मोदीमय कर के दिखा रहा है. अमेरिका मोदी को अपनी जमीं पर बुलाकर सम्मान दे रहा है या समन इस बात का जवाब भी मीडिया को देना चाहिए.

By Editor

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