जैसे जैसे लोकसभ चुनाव की तारीख नजदीक होती जा रही है, उत्तर प्रदेश के नौकरशाह राज्य छोड़ दिल्ली की तरफ कूच करने की कोशिश तेज करते जा रहे हैं.
अभी तक राज्य के 20 आईएएए और 30 आईपीएस अधिकारियों ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए आवेदन दे दिया है. पहले से ही राज्य के 106 आईएएस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. ऐसे में अतिरिक्त आईएएस अधिकारियों के लिए वहां कोई वेकेंसी नहीं है.
यूपी आईएस अधिकारियों की कुल क्षमता 592 है जबकि राज्य के पास फिलहाल 489 आईएएस हैं. इन में 106 केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर हैं
एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने डीएनए से बात करते हुए कहा है कि आईएएस दुर्गाशक्ति नागपाल को जिस तरह से सस्पेंड किया गया उससे आईएएस अधिकारियों में काफी नारजगी है.
दुर्गाशक्ति की घटना के बाद मुजफ्फरनगर के एसएसपी सुभाष चंद्र दूबे के साथ जो हुआ उससे भी नौकरशाहों में काफी रोष है. मुजफ्फरनगर के एसएसपी को साम्प्रदायिक दंगों के बाद सस्पेंड कर दिया गया था. उनका निलंबन प्रशासनिक कारणों से ज्यादा राजनीतिक कारणों से माना गया. वैसे सुभाष चंद्र दूबे को एक कुशल आईपीएस अधिकारी के रूप में जाना जाता है. लेकिन दंगों की भेंट चढ़ा दिये गये.
सुभाष ने दंगों के महज दस दिन पहले कार्यभार संभाला था.
आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के निलंबन के मामले में उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा अधिकारी निलंबित किये हैं.
यूपी छोड़ कर दिल्ली जाने की इच्छा रखने वाले अधिकारियों में कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं. इनमें एडीजी रैंक के अधिकारी अरुण कुमार का नाम भी शामिल है.