यौन उत्पीड़न के आरोपी जस्टिस गांगुल आज विश्व मानवाधिकार दिवस पर क्या करेंगे? मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफे देने पर दबाव झेल रहे गांगुली दफ्तर नहीं जा रहे हैं.
इंटर्न छात्र से यौन शोषण के आरोपों का सामना कर रहे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली अपने इस्तीफे पर भले ही चुप्पी साध रखे हों, लेकिन करीब सप्ताह भर से वे कार्यालय नहीं जा रहे. इस बीच आज यानी मंगलवार को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित विश्व मानवाधिकार दिवस के समारोह में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाग लेने से इनकार कर दिया है. ऐसी स्थिति में यह कार्यकम किस रूप में और कैसे आयोजित होगा यह देखना दिलचस्प होगा.
यौन शोषण के आरोपों से घिरे पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली न मानवाधिकार आयोग से इस्तीफा दे रहे हैं और न ही कार्यालय जा रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश गांगुली पर एक इंटर्न वकील के यौन शोषण का आरोप है जिसे सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने भी माना था. जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद गांगुली पर पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग से इस्तीफे की मांग बढ़ गयी है लेकिन गांगुली ने पिछले दिनों इस पद स इस्तीफा देने के सावाल को टाल दिया था.
लेकिन आज विश्व मानवाधिकार दिवस है देखना है कि ऐसे में गांगुली क्या रुख अपनाते हैं. कलकत्ता हाई कोर्ट में विश्व मानवाधिकार दिवस पर कार्यक्रम होना है। इसमें लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्र भी आमंत्रित हैं। आधिकारिक तौर पर कार्यक्रम के मुख्य आयोजक के रूप में राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की मौजूदगी अनिवार्य है
जस्टिस गांगुली फिलहाल पश्चिम बंगाल मानवधिकार आयोग के अध्यक्ष के साथ साथ वेस्ट बंगाल नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ जुरिडिकल सायंस के मानद प्रोफेसर भी हैं. 1947 जन्में गांगुली ने कलकत्ता युनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की और 1969 से अपने करियर की शुरूआत की. वह 1994 में कलकत्ता हाईकोर्ट के जज बने. उन्होंने पटना हाई कोर्ट में लगभग छह सालों तक जज की भूमिका भी निभाई. बाद में वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने. वह 3 फरवरी 2012 को रिटायर कर गये.