मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोग, बोर्ड और निगमों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों से इस्तीफा लेने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में मायूसी छायी हुई है। भाजपा से अलग होने के बाद जदयू कार्यकर्ताओं के बहार आ गए थे और सभी आयोगों में थोक भाव से जदयू के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भरा गया था। लेकिन महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से राजद और कांग्रेस की ओर से आयोग, निगम और बोर्डों को भंग कर इसके पुनर्गठन की मांग की जा रही थी। नीतीश पर राजद की ओर से ज्यादा दबाव था।
नौकरशाही ब्यूरो
आयोगों, बोर्डो और निगमों के पुनगर्ठन में राजद की हिस्सेदारी बढ़ेगी, जबकि जदयू को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके कार्यकर्ताओं के लिए अवसर अब बहुत सीमित हो गए हैं। इसका असर आज दोनों पार्टियों के प्रदेश कार्यालयों में भी दिखा। जदयू कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ था, जबकि राजद कार्यालय में गहमागहमी थी। अन्य दिनों की तुलना में आज ज्यादा भीड़ भी राजद कार्यालय में देखी। उधर कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में भी उम्मीदवारों का मजमा लगा रहा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आयोगों के पुनर्गठन में तीनों पार्टियों के हिस्से का फार्मूला भी तैयार कर लिया गया है। 40-40 फीसदी सीट राजद व जदयू को जबकि, 20 फीसदी सीट कांग्रेस के कोटे में जाएगी। राजद और जदयू में अंतिम फैसला लालू यादव व नीतीश कुमार को ही लेना है, जबकि कांग्रेस के दावेदारों की सूची में अशोक चौधरी को काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है। उम्मीद जतायी जा रही है कि जून महीने में इनका पुनर्गठन कर लिया जाएगा।