राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन हादसे की पहली जांच रिपोर्ट 10 जुलाई तक आ जायेगी. लेकिन अब तक की जांच से ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला है जिसके आधार पर इसे नक्सल हमला कहा जाये.
नयी दिल्ली-डिब्रुगढ़ राजधानी एक्सप्रेस पिछले 25 जून को छपरा के निकट हादसे का शिकार हो गयी थी जिसमें 4 लोगों की मौत हो गयी थी जबिक 22 लोग घायल हो गये थे. हादसे के तुरंत बाद रेल मंत्री ने इस दुर्घटना में नक्सलियों की संलिप्तता की तरफ इशारा किया था. लेकिन अब तक की जांच प्रगति से ऐसा कोई सुबूत जांचकर्ताओं को नहीं मिला है जिसके आधार पर इसे नक्सल अटैक कहा जा सके.
छपरा के एएसपी सुशील कुमार राजधानी हादसा के इंवेस्टिगेटिंग अफसर हैं. उनकी टीम पिछले एक हफ्ते से इस हादसे के तमाम पहलुओं पर जांच कर रही है. सुशील ने नौकरशाही डॉट इन से कहा है कि “अभी तक जांच से जो तथ्य और साक्ष्य हमारे हाथ लगे हैं उससे ऐसा नहीं लगता कि इस घटना में किसी नक्सली संगठन का हाथ है.हम जांच कर रहे हैं और इसकी पहली अंतरिम रिपोर्ट 10 जुलाई तक सौंप देंगे”.
घटनास्थल पर जो साक्ष्य अब तक मिले हैं उसकी तकनीकी जांच भी जारी है और जांच कर्ताओं ने टूटी हुई रेल पटरी और स्लीपर की मेट्रोलॉजिकल टेस्ट के लिए प्रोयगशाला में भेज दिया है. इस जांच से यह पता लगाना आसान होगा कि यह पटरी ट्रेन दुर्घटना से पहले तूटी थी या बाद में. इससे यह भी स्पष्ट हो जायेगा कि संबंधित रेल पटरी विस्फोट से टूटा है या खुद ट्रेन के घर्षण या किसी अन्य कारण से.
दर असल राजधानी हादसा बिहार सरकार और केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक नफा-नुकसान का मामला भी बन गया था. दुर्घटना के तुरंत बाद रेल मंत्री ने इसे ‘नक्सली’ गतिविधि के बतौर देखने की कोशिश की. वजह साफ थी, कि इसे राज्य की कानून और व्यवस्था से जोड़ा जाये. लेकिन अब तक की जांच रिपोर्ट से जो तथ्य सामने आये हैं उससे यह लग रहा है कि यह दुर्घटना रेलवे की कोताही का नतीजा हो सकता है.
हालांकि जांच टीम के नेतृत्व करने वाले सुशील कुमार इस पर कुछ नहीं कहते. उनका कहना है कि जांच चल रही है लेकिन इतना तो तय है कि अब तक जो सुबूत मिले हैं उससे लगता है कि इस दुर्घटना में विस्फोट या तोड़-फोड़ का सहारा नहीं लिया गया है.