राज्य सभा और विधान परिषद चुनाव में अपने-अपने आधार वोटों का सभी पार्टियों ने ख्याल रखा और उसी के अनुसार उम्मीदवारों का चयन भी किया। चयन में राजनीतिक सरोकारों के साथ अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र और ‘सत्ता शास्त्र’ का पूरा ख्याल रखा गया। इसमें दलित जातियां हाशिए पर रह गयीं, जबकि भाजपा ने अपने मजबूत आधार वोट भूमिहार को किनारे कर दिया। आज नामांकन पत्रों की जांच की गयी और सभी सही पाये गए। सभी उम्मीदवारों को 3 जून को प्रमाणपत्र प्रदान कर दिया जाएगा।
वीरेंद्र यादव
उम्मीदवार को लेकर सभी पार्टियों में उहापोह था। एक सीट के कई-कई दावेदार थे। राजद में इतना तय था कि पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और मीसा भारती में से कोई एक राज्य सभा जाएंगी। पहले राबड़ी देवी के नाम की चर्चा हुई, बाद में मीसा भारती के नाम की घोषणा की गयी। राजद के दूसरे उम्मीदवार को लेकर कई दावेदार थे। लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी के नाम सामने आते ही सभी दावेदार शांत पड़ गए। विधान परिषद के लिए पार्टी ने रणविजय सिंह और कमर आलम के नामों की घोषणा की। इन नामों की चर्चा दूर-दूर तक नहीं थी। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने तनवीर अख्तर के नाम की घोषणा की।
जदयू में शरद यादव का राज्यसभा में जाना तय माना जा रहा था। लेकिन दूसरे नाम पर दुविधा थी। दूसरे उम्मीदवार के रूप में आरसीपी सिंह और केसी त्यागी को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। आरसीपी सिंह को नालंदा निवासी और कुर्मी होने का लाभ मिलना तय माना जा रहा था, लेकिन नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल के नाम पर जिस तरह से केसी त्यागी लॉबिंग कर रहे थे, उसमें लग रहा था कि आरसीपी सिंह का पता साफ हो सकता है। अंतत: जदयू ने आरसीपी सिंह को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की। उम्मीदवारों के नाम घोषित करने में जदयू ही सबसे आगे रहा। पार्टी ने विधान परिषद के लिए सीपी सिन्हा और गुलाम रसूल बलियावी को उम्मीदवार बनाया गया।
भाजपा की परेशानी
भाजपा में राज्यसभा की उम्मीदवारी को लेकर वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का नाम तय माना जा रहा था। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी जगह पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह को उम्मीदवार बनाया। विधान परिषद चुनाव को लेकर भाजपा में संशय था कि एक सीट पर उम्मीदवा दें या दो सीटों पर। एक सीट पर भाजपा की जीत आसान थी, लेकिन दूसरी सीट के लिए उसे अतिरिक्त वोटों की जरूरत पड़ रही थी। पार्टी ने पहले सिर्फ एक उम्मीदवार अर्जुन सहनी के नाम की घोषणा की। 30 मई तक पार्टी में यह संशय बना रहा। वजह थी कि राजद ने भी अपना तीसरा उम्मीदवार देने के संकेत दिए थे। वैसी स्थिति में भाजपा के लिए परेशानी बढ़ रही थी। 30 मई को देर शाम राजद ने स्पष्ट कर दिया कि वह तीसरा उम्मीदवार नहीं देगा। इसके बाद भाजपा ने आनन-फानन में पूर्व विधायक विनोद नारायण झा को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की।
जातियों का गणित
उम्मीदवारों के चयन में आधार वोट का पूरा ख्याल रखा गया। महागठबंधन के तीनों दल यादव और मुसलमान पर मेहरबान रहे। राजद व जदयू ने एक-एक यादव को राज्यसभा में भेजा तो जदयू कुर्मी वोटों की कीमत अदा करते हुए आरसीपी सिंह को भी दूसरी बार राज्यसभा में भेजा। राम जेठमलानी को राज्यसभा भेजने के पीछे राजद प्रमुख के न्यायिक प्रक्रियाओं से जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा से गोपाल ना. सिंह को राज्यसभा भेजने की वजह केंद्रीय नेतृत्व से नजदीकी बताया जा रहा है। विधान परिषद चुनाव में महागठबंधन के तीनों दलों ने एक-एक अगड़ा मुसलमान को अपना उम्मीदवार बनाया। इनके लिए पसमांदा हाशिए पर ही रह गया। रणविजय सिंह की उम्मीदवारी के पीछे उनके ‘अर्थतंत्र’ को आधार माना जा रहा है। जदयू के सीपी सिन्हा को जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के प्रति वफादारी काम आयी। भाजपा ने अतिपिछड़ा समाज के साथ ब्राह्मण को भी अपना उम्मीदवा बनाया है। बिहार से राज्य सभा में कोई दलित सदस्य नहीं हैं, जबकि विधान परिषद में एकमात्र राजेश राम दलित सदस्य हैं। इसके बावजूद दलितों को किसी पार्टी ने उच्च सदन में अपना प्रतिनिधि बनाना उचित नहीं समझा।
परिषद में अगड़ों का बोलबाला
विधान परिषद की सात सीटों में से पांच पर अगड़ी जाति के लोगों ने कब्जा जमाया। राजद के कमर आलम व रणविजय सिंह, जदयू के गुलाम रसूल बलियावी, कांग्रेस तनवीर अख्तर और भाजपा के विनोद नारायण झा अगड़ी जातियों के हैं। जबकि भाजपा के अर्जुन सहनी अतिपिछड़ा और जदयू के सीपी सिन्हा पिछड़ी जाति के हैं।
राज्य सभा के उम्मीदवार
नाम—– पार्टी —– जाति
शरद यादव —– जदयू —– यादव
आरसीपी सिंह —– जदयू —– कुर्मी
मीसा भारती —– राजद —– यादव
राम जेठमलानी —– राजद —– सिंधी
गोपाल ना. सिंह —– भाजपा —– राजपूत
विधान परिषद के उम्मीदवार
रणविजय सिंह —– राजद —– राजपूत
कमर आलम —– राजद —– अगड़ा
सीपी सिन्हा —– जदयू —– कुशवाहा
गुलाम रसूल —– जदयू —– अगड़ा
अर्जुन सहनी —– भाजपा —–मल्लाह
विनोद ना. झा —– भाजपा —– ब्राह्मण
तनवीर अख्तर —– कांग्रेस —– अगड़ा