समाज कल्याण मंत्री लेसी सिंह मंत्री ने कहा है कि बिहार में विकलांगों के कल्याणार्थ एक भी राष्ट्रीय स्तर की अनुसंधान संस्थान नहीं है। साथ ही 50 प्रतिशत से अधिक विकलांगता पीड़ितों को जीवन निर्वाहण हेतु विशेष भत्ता का प्रावधान किए जाने की आवश्यकता है। श्रीमती सिंह ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि दोनों ही आवश्यकता पर गम्भीरता से विचार कर प्रावधान निरूपित की जाएं। समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि काम करने में असमर्थ विकलांगों को दिए जा रहे पेंशन से उनका गुजारा नहीं हो पाता।
विज्ञान भवन में हुआ कार्यक्रम
समाज कल्याण मंत्री श्रीमती सिंह शनिवार को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में केन्द्रीय समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा विकलांगों के क्षेत्र में कार्य करने वाले राज्यों के समाज कल्याण मंत्रियों के सम्मेलन को सम्बोधित कर रही थीं। श्रीमती सिंह ने बताया कि सम्प्रति राज्य के कुल 27 जिलों में विकलांगता पुर्नवास केन्द्र कार्यरत हैं। जहां अधिकांश जिला में इंडियन रेड क्रास सोसाइटी कार्यरत है। स्वयं सेवी संस्थान की संख्या बहुत ही कम है। फलस्वरूप विकलांगों के लिए परियोजना तैयार करने में विभिन्न कारणवश शिथिलता बरती जाती है। जिला प्रबन्धन समिति भी प्रस्ताव मिलने के अभाव में भारत सरकार को अनुशंसा कर पाने में असमर्थ होता है। राज्य सरकार का पर्यवेक्षण-अनुश्रवण के अलावा कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। अतः इस सम्बन्ध में राज्य सरकार की मांग है कि राज्य सरकार को प्रस्ताव बनाने का अधिकार दिया जाए ताकि राज्य हित में निःशक्तों के लिए योजनाएं तैयार की जा सके।
विकलांगों के लिए हो विशेष व्यवस्था
समाज कल्याण मंत्री श्रीमती सिंह ने बताया कि बिहार सरकार के स्तर से वर्ल्ड बैंक की मदद से अनुमंडल स्तर पर बृद्धजनों विकलांगों को फिजियोथेरेपी समेत चिकित्सा सुविधा मनोरंजन आवासन की व्यवस्था हेतु बुनियाद केन्द्र खोलने का निर्णय लिया गया है। यदि भारत सरकार के स्तर से समुचित आर्थिक सहयोग प्राप्त हो तो सारी सुविधा प्रदत तथा चिकित्सक का दल युक्त मोर्बाइल चिकित्सा वेन के द्वारा गांवों में घूम-घूमकर विकलांग की सभी प्रकार की चिकित्सीय सुविधा थेरेपी आदि करते हुए ग्राम में प्रमाणीकरण देने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जा सकती है।