नीतीश सरकार के पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम को मंत्री आवास खाली करने का नोटिस मिल गया है। आवास चिडि़याखाना के पास है। सरकार ने नया मकान भी आवंटित कर दिया है पुनाईचक में कहीं पर। अभी देखा नहीं है। उन्हें चिंता अपने रहने की नहीं। उन्हें गायों की चिंता सता रही है। उनके पास 8 गाएं हैं। चार दुधारू हैं। खुद तो कहीं रह लेंगे, गाय को कहां रखेंगे। क्षेत्र से आने वाले लोग कहां रहेंगे। तीन बार विधायक रह चुके हैं। जनसंपर्क का दायरा बढ़ गया है।
विधायकों की वरीयता के आधार पर मिले आवास भत्ता
वीरेंद्र यादव
उनकी चिंता एकदम जायज है। नीतीश कुमार ने 2013 में भाजपा के मंत्रियों को सरकार से धकिया कर बाहर किया था, लेकिन आवास खाली नहीं करवा पाए थे। नोटिस भाजपा के पूर्व मंत्रियों को भी मिली थी। नोटिसधारी कुछ लोगों ने कोर्ट जाने की धमकी दी थी। इसके बाद सरकार ने उन पूर्व मंत्रियों को मकान में रहने की इजाजत दे दी थी। एकाध पूर्व मंत्री ने तो आवास बचाने के लिए जदयू की सदस्यता भी ग्रहण कर ली थी।
शिवचंद्र राम कहते हैं कि मकान तो खाली कर ही देंगे, लेकिन सरकार को मंत्रियों की वरीयता का भी ख्याल रखना चाहिए। सभी विधायकों को एक समान आवास भत्ता मिलता है। नये हों या कई टर्म विधायक रह चुके हों। उनका मानना है कि विधायकों को वरीयता और आवृत्ति के आधार पर आवास भत्ता का भुगतान किया जाना चाहिए। पुराने विधायकों की जिम्मेवारी और संपर्क का दायरा बढ़ जाता है। छोटे मकान उनके लिए असहज हो जाता है। बड़े मकान के लायक भत्ता मिलना चाहिए। श्री राम ने कहा कि पूर्व मंत्रियों को किसी पार्टी या गठबंधन के हिसाब से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। विधान सभा के लिए निर्वाचित किसी भी सदस्य के लिए, जो कभी मंत्री रहे थे, उनकी समस्याएं एक समान हैं। सरकार को वरीयता का सम्मान करना चाहिए।