जनता दल यू ने पार्टी  पदाधिकारियों का बड़े पैमाने पर फेरबदल किया है.  प्रवक्ता नवल शर्मा भी हटा दिये गये हैं. समाज का एक वर्ग इस पुनर्गठन को पार्टी द्वारा सवर्णों को हाशिये पर धकेलना बता रहा है.

नवल शर्मा:हाशिये के सफर पर
नवल शर्मा:हाशिये के सफर पर

पढिए रजनीश कुमार का पक्ष

कहा जाता है कि पतन काल में बुद्धि काम नहीं करती.ऐसा ही कुछ जद यू के साथ देखने को मिल रहा है.

हाल में जद यू का जिस तरीके से पुनर्संगठन किया गया वह इस बात की तस्दीक करता है कि यहां सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है.

विश्व के सारे संगठनों में युद्ध के समय बड़ी संख्या में सैनिकों की बहाली की जाती है , पर जद यू सैनिकों की कटौती कर रही है. पुराने और अनुभवी चेहरों को संगठन से बाहर रखकर और नौसिखिए तथा जनाधारविहीन चेहरों को आगे लाकर जद यू कौन सा तीर मारने की तैयारी में हैं, यह वक़्त बताएगा?

प्रवक्ताओं की नयी टीम भी अपने आप में बेहद आश्चर्यजनक है. इनमें एक-आध को छोड़कर बाकी का बौद्धिक स्तर अपने आपमें चिंतनीय है. जद यू के जिस प्रवक्ता नवल शर्मा ने राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के पक्ष का मजबूती से रखते रहे, उन्हीं को जद यू ने  हटा दिया. राजनीति में दरबारी नहीं करने , सवर्ण समाज में जन्म लेने और सम्मान के साथ तन कर चलने की सजा शायद यही है.

आखिर क्यों?

अभयानंद को क्यों सजा दी गयी, अब मामला कुछ कुछ समझ में आने लगा है. नवल शर्मा बौद्धिक रूप से काफी सजग और बातों को तर्कपूर्ण तरीके से रखने में सक्षम रहे हैं वह व्यावहारिक, विनम्र और शालीन पर कर्तव्यपालन में एकदम आक्रामक रहे हैं. पर इन दिनों वे टीवी पर दिखना बंद हो गए, पता किया तो पता चला कि बिहार जदयू के पुनर्गठन के दौरान उन्हें प्रवक्ता पद से हटा दिया गया है.

विदित हो कि नवल शर्मा जी का एकेडमिक कैरियर भी बहुत अच्छा रहा है और जैसा कि उन्होंने बताया यूपीएससी के मुख्य परीक्षा में वे दो-दो बार सफल रहे हैं. तो क्या उन्हें सवर्ण होने की सजा मिली ? क्या लोकसभा चुनाव के बाद जदयू में सवर्ण नेताओं को धीरे-धीरे किनारे किया जा रहा है या यह लालू जी के संगत का असर है.

एक ओर माननीय नीतीश जी के द्वारा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की खिल्ली उड़ाई जाती है और दूसरी ओर उसी से प्रेरित होकर संगठन-मंत्री के पद की रचना की जाती है. संगठन में एक-दो नेताओं के पद की परिक्रमा करनेवालों को ही जगह दी गई है, ये वही लोग हैं जिन पर लोकसभा में पार्टी की लुटिया डुबोने का तोहमत लगा है.

सवर्णों को राजनीतिक हाशिये पर पहुंचाने का षड्यंत्र राज्य में जोरों से चल रहा है.

By Editor