एक संवेदनशील मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को आदेश दिया है कि वह रेप पीड़िता गर्भवती महिला को 3 लाख रुपये मुआवजा दे. अदालत ने 26 हफ्ते की प्रेगनेंसी को आबोर्शन करने से भी मना कर दिया है.
गौर तलब है कि पटना के पीएमसीएच की इस मामले में कोताही सामने आयी है. पीड़िता रेप के बाद प्रेगनेंट हो गयी थी लेकिन जब उसने अबोर्शन की अपील की तो तकनीकी कारणों से अस्पताल ने उसका अबोर्शन नहीं किया इतने दिनों में काफी देर हो गयी जिसके बाद अब डाक्टरों की टीम का कहना है कि 26 सप्ताह बीत जाने के बाद अबोर्शन महिला की जान के लिए खतरनाक हो सकता है.
पीड़िता की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा था कि इस मामले में राज्य के सरकारी अस्पताल की लापरवाही हुई है। स्टेट एजेंसी प्रेगनेंसी टर्मिनेशन से संबंधित कानून को सही तरह से नहीं समझ पा रही है और यही कारण है कि महिला के इलाज में देरी हुई और पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रेगनेंसी टर्मिनेट नहीं हो सकी। ऐसे में एक गाइडलाइंस की भी जरूरत है ताकि ऐक्ट का सही तरह से अनुपालन हो और राज्य सरकार की एजेंसी की ओर से जो देरी की गई है उसके लिए महिला को मुआवजा मिलना चाहिए
रेप के बाद गर्भवती हुई थी महिला
रेप के बाद प्रेगनेंट हुई एक HIV पीड़ित महिला को सुप्रीम कोर्ट से अबॉर्शन की इजाजत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने एम्स की मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि 26 हफ्ते की प्रेगनेंसी टर्मिनेट नहीं हो सकती। एम्स की मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्टेज पर महिला की प्रेगनेंसी टर्मिनेट करने से उसके जीवन को खतरा हो सकता है। महिला रेप पीड़ित है साथ ही एचआईवी पॉजिटिव भी है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को निर्देश दिया है कि वह महिला को रेप विक्टिम स्कीम से 3 लाख रुपये का भुगतान करे। महिला के मामले में राज्य सरकार के अथॉरिटी और एजेंसियो द्वारा जो देरी हुई है उसके लिए क्या मुआवजा तय हो, इस पर सुप्रीम कोर्ट अब 9 अगस्त को सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एम्स की डॉक्टरों की टीम ने महिला का चेकअप किया और उसके बाद अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट को देखने के बाद कहा कि 26 हफ्ते की प्रेगनेंसी टर्मिनेट नहीं होगी। कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद उक्त फैसला दिया। साथ ही राज्य सरकार से कहा है कि वह रेप विक्टिम फंड से 4 हफ्ते के भीतर पीड़िता को 3 लाख रुपये का भुगतान करे.
12 साल पहले ही पति ने छोड़ दिया
महिला की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि महिला रेप पीड़ित है। जब उसे पता चला कि वह गर्भवती है तो गर्भ 17 हफ्ते का था। लेकिन पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उसकी प्रेगनेंसी टर्मिनेट इसलिए नहीं की गई कि महिला आई कार्ड नहीं दे पाई। हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से होने वाली देरी के मामले में क्या मुआवजा राशि होनी चाहिए इस पर कोर्ट बाद में सुनवाई के दौरान विचार करेगी.
गौरतलब है कि महिला के पति ने उसे 12 वर्ष पहले ही छोड़ दिया था. इस बीच महिला बड़ी मुश्किल से सड़कों पर जीवन व्यतीत कर रही थी. इस दौरान रेप के बाद वह गर्भवती हो गयी थी.