उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव को 12 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होकर बिहार बालिका आश्रय गृह मामले की जांच कर रहे अधिकारी ए. के. शर्मा को न्यायालय की अनुमति के बगैर स्थानांतरित करने के लिए स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि श्री राव ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह बलात्कार मामले की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी ए. के. शर्मा को न्यायालय की अनुमति के बगैर स्थानांतरित करके प्रथम दृष्टया न्यायालय की अवमानना की है। शीर्ष अदालत ने सीबीआई के प्रभारी अभियोजन निदेशक बाशू राम को भी न्यायालय में पेश होने का आदेश दिया।
पीठ ने श्री शर्मा के तबादले की फाइल को आगे बढ़ाने से जुड़े अन्य अधिकारियों की सूची पेश करने का सीबीआई निदेशक को आदेश दिया। न्यायालय ने इसके साथ ही इन अफसरों को मंगलवार को न्यायालय में पेश होने का भी आदेश दिया। न्यायामूर्ति गोगोई ने कहा कि हद हो गयी। यदि आप जागरुक नहीं है तो हम आपसे (बिहार सरकार के वकील) कुछ सवाल पूछने जा रहे हैं। हम बिहार के मुख्य सचिव से कहेंगे कि वह न्यायालय में उपस्थित हों।
उधर उच्चतम न्यायालय ने बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बालिका आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले में नीतीश सरकार को गुरुवार को कड़ी फटकार लगाते हुए इसे दिल्ली स्थानांतरित कर दिया।
न्यायालय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार इस तरह का व्यवहार बच्चों के मामले में कर रही है। न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि यह मामला बिहार के मुजफ्फरपुर से दिल्ली के साकेत स्थित विशेष अदालत को स्थानांतरित किया जाता है। इतना ही नहीं, अदालत ने इस मामले की सुनवाई छह महीने के भीतर पूरी करने को भी कहा।