साहित्य सम्मेलन का अगला राष्ट्रीय परिसंवाद सिक्किम में
स्थानीय भाषा लेप्चा और हिन्दी के परस्पर भाव–प्रवाह और सहकार पर होगी चर्चा
पटना,
गोवा में विगत १९–२० अगस्त को, गोवा विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में संपन्न हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद की व्यापक सफलता से उत्साहित, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन अपना अगला राष्ट्रीय परिसंवाद सिक्किम में आयोजित करने पर विचार कर रहा है। सिक्किम विश्वविद्यालय में संचालित स्थानीय भाषा ‘लेप्चा‘विभाग के साथ मिल कर,हिन्दी और लेप्चा सहित अन्य स्थानीय भाषाओं की उन्नति में संयुक्त प्रयास की संभावनाओं की खोज इस परिसंवाद का मुख्य लक्ष्य होगा।
साहित्य सम्मेलन का निर्णय
इस आशय का निर्णय गुरुवार की संध्या साहित्य सम्मेलन में,गोवा–परिसंवाद‘की समीक्षा के लिए बुलाई गई कार्यसमिति की बैठक में लिया गया। सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ की अध्यक्षता में संपन्न हुई इस बैठक में कार्यसमिति के सदस्यों के साथ, ‘विशेष–आमंत्रित‘के रूप में बुलाए गए परिसंवाद के प्रतिभागियों ने संपन्न हुए परिसंवाद पर संतोष और उपलब्धियों पर मुक्त–कंठ से प्रसन्नता व्यक्त की।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में डा सुलभ ने कहा कि गोवा में जिस प्रकार स्थानीय भाषा ‘कोंकणी‘के साथ हमने अपने मधुर संबंध स्थापित किए और हिन्दी–कोंकणी के बीच रागात्मक एकता स्थापित की, उसी प्रकार हम देश के अन्य प्रांतों में,जहाँ की व्यवहार की भाषा हिन्दी नहीं है,आत्मीय–संवाद स्थापित करना चाहते हैं। इसी कड़ी में हमारा अगला लक्ष्य सिक्किम है, जहाँ की स्थानीय भाषाएँ भी आर्य–कुल की हीं भाषाएँ हैं, जिनसे हमारा नैसर्गिक संबंध है। इस संबंध को आत्मीय–धरातल पर विकसित किया जाना चाहिए।
डा. सुलभ ने जो कहा
डा सुलभ ने कहा कि सिक्किम के महामहिम राज्यपाल श्री गंगा प्रसाद के माध्यम से सिक्किम विश्वविद्यालय से संपर्क स्थापित किया जा रहा है और आशा है कि यह राष्ट्रीय–परिसंवाद आगामी दिसम्बर माह के पूर्व किसी दिन आयोजित हो सकेगा। डा सुलभ ने कहा कि जिस तरह हमें गोवा में आत्मीय सौहार्द प्राप्त हुआ और वहाँ के विद्वान जिस प्रांजल हिन्दी में वार्ता करते और व्याख्यान देते हुए दिखे, वह पुलकनकारी आह्लाद की अनुभूति थी। इससे हमने यह समझा कि, पूरा देश हिन्दी के प्रति सम्मान की भावना रखता है। कुछ थोड़े से लोग अपने राजनैतिक स्वार्थ में भाषाओं के बीच दूरियाँ उत्पन्न करना चाहते हैं,जिन्हें इस तरह के संयुक्त आयोजनों से समाप्त किया जा सकता है।
बैठक में, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्रनाथ गुप्त,डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह, सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, राज कुमार प्रेमी, पूनम आनंद, डा शालिनी पाण्डेय, डा अर्चना त्रिपाठी, कृष्ण रंजन सिंह, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, कुमार अनुपम, प्रो सुशील कुमार झा, विजय गुंजन, शशि भूषण कुमार, चंदा मिश्र तथा नेहाल कुमार सिंह उपस्थित थे।