अब सिख लड़की को पगड़ी उतारने का फरमान, SGPC ने किया विरोध

लगता है कर्नाटक देश का नया हेट फैक्ट्री (नफरत की प्रयोगशाला) बन गया है। हिजाब का विरोध करते-करते अब सिख लड़की को पगड़ी उतारने का फरमान।

प्रतीकात्मक फोटो। दस्तार डॉट इन से साभार

कुमार अनिल

कर्नाटक में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने के विरोध की आड़ में मुस्लिम विरोधी भावना भड़काने का सिलसिला बढ़ते-बढ़ते अब सिखों के खिलाफ पहुंच गया है। बेंगलुरू के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में अमृतधारी सिख लड़की को पगड़ी उतारने का आदेश दिया गया। मामला बेंगलुरु के माउंट कार्मेल पीयू कॉलेज का है, जहां सिख लड़की को पगड़ी उतारने को कहा गया।

दुनिया भर के सिखों के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित संगठन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, श्रीअमृतसर ने बेंगलुरु में सिख लड़की को पगड़ी पहनने से मना करने का प्रतिवाद करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। एसजीपीसी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह की तरफ से लिखे पत्र में जोर देकर कहा गया है कि भारत का संविधान हर धर्म के अनुयायी को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। कमेटी के पत्र में कहा गया है कि दस्तार (पगड़ी) सिख धर्म का हिस्सा है, साथ ही यह मर्यादा के अनुरूप भी है।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस एपी साह और पूर्व डीजी अजय कुमार सिंह ने कर्नाटक में हिजाब के बहाने राज्य में सांप्रदायिक नफरत फैलाने का प्रतिवाद किया है। उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि सांप्रदायिक उन्माद को रोकने के लिए गंभीर कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कोर्ट की भूमिका पर भी सवाल उठाया और पूछा कि कोर्ट सांप्रदायिक तत्वों पर लगाम क्यों नहीं लगा रहै है। उन्होंने यह भी कहा कि ठीक गुजरात की तरह हत्या का सांप्रदायिकीकरण किया जा रहा है।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि हिंदुत्ववादी संगठन हिंदू जिहाद छेड़ने का आह्वान कर रहे हैं। कर्नाटक में इस प्रकार सांप्रदायिक हिंसा की भावना के कारण स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई बाधित है।

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