आज मेरे पास नानी घर के अलावा रहने का कोई ठिकाना नहीं : चिराग

उदास चिराग पासवान ने पिता की प्रतिमा के आगे माथा टेकने के बाद 12 जनपथ का बंगला छोड़ दिया। कहा, आज मेरे पास नानी घर के अलावा रहने का कोई ठिकाना नहीं।

कुमार अनिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हनुमान और पार्टी तोड़े जाने के बाद भी कभी भाजपा नेतृत्व की आलोचना तक नहीं करनेवाले सांसद और लोजपा प्रमुख चिराग पासवान का दर्द आज छलक ही गया। आज उन्होंने पहले पिता की प्रतिमा के आगे माथा टेका और चुपचाप 12 जनपथ से बाहर हो गए। पत्रकारों ने सवाल किया, तो पहली बार उनका दर्द छलक आया। कहा कि मैं दूसरी बार सांसद हूं, पर आज की तारीख में मेरे पास दिल्ली में रहने के लिए नानी के घर के आलावा कोई दूसरा ठिकाना नहीं है।

चिराग पासवान ने यह भी कहा कि इस बंगले को तो छोड़ना ही था। उन्होंने कभी स्थायी तौर पर इस बंगले को मेरे नाम करने की मांग नहीं की, लेकिन जिस तरह से खाली कराया गया, वह ठीक नहीं लगा। मेरे पिता यहां वर्षों तक रहे। उनकी बहुत सी यादें यहां हैं। उनके सैकड़ो सहयोगी यहीं रहकर पार्टी का काम करते थे। अब उन सबके लिए अचानक मुश्किल सामने आ गई है। मैं दूसरी बार सांसद हूं, पर मेरे पास दिल्ली में रहने का ठिकाना नहीं है। मुझे अपने नानी घर जाना होगा।

चिराग पासवान के इस हश्र पर बिना नाम लिये राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा-बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले। बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले। —— आज बिहार में चल रहे राजनीतिक चर्चा के संदर्भ में गालिब के इन पंक्तियों का कोई संबंध नही है।

चिराग पासवान की पार्टी लोजपा को तोड़ दिया गया। पार्टी को तोड़ने में किस-किस की बूमिका रही, यह सब जानते हैं। 12 जनपथ, जो पार्टी का आधिकारिक दफ्तर रहा, वहां से भी बाहर होना पड़ा। क्या अब भी चिराग पासवान भाजपा के खिलाफ बोलेंगे? उत्तर शायद हां और शायद ना दोनों ही हो सकते हैं। अब वक्त बताएगा कि चिराग कुछ और भी खोएंगे या अब युद्ध का एलान करेंगे। जब चिराग बंगले से बाहर हो रहे थे, तो समर्थक शेर का बच्चा है नारा लगा रहे थे। देखना है कि शेर के बच्चे का अलगा कदम क्या होता है।

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