आंतरिक लोकतंत्र के मामले में कांग्रेस ने सभी दलों को पीछे छोड़ा
भारत को विश्व गुरु कहनेवालों के अपने दल में कितना लोकतंत्र है? आंतरिक लोकतंत्र के मामले में कांग्रेस ने पेश की नजीर। प्रतिद्वंद्वी दिग्विजय-थरूर गले मिले।
विश्व के अनेक मंचों पर हमारे नेता भारत को लोकतंत्र की जननी बताते नहीं थकते। विश्व गुरु बताते हैं या विश्व गुरु बनने का दावा करते हैं। लेकिन यह कड़वी सच्चाई है कि इन नेताओं के खुद अपने दल में लोकतंत्र नहीं है। अभी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल 2024 तक के लिए बढ़ा दिए जाने की खबर है। दलों में आंतरिक लोकतंत्र के मामले में कांग्रेस ने एकबार फिर नजीर पेश की है। खास बात यह कि अध्यक्ष पद के दो संभावित उम्मीदवार शशि थरूर और दिग्विजय सिंह गले मिले और कहा कि दोनों चुनाव लड़ रहे हैं, पर मकसद एक ही है कि देश को बचाना है। कोई झगड़ा नहीं है, यह दुश्मनों के बीच की प्रतिद्वंद्विता नहीं है, बल्कि दोस्ताना संघर्ष है।
आरएसएस में चुनाव ही नहीं होता। चुनाव का कोई प्रवाधान ही नहीं है। वह भारत को लोकतंत्र की जननी और विश्व गुरु बताते नहीं थकता। लेकिन सच्चाई यही है कि खुद उसके भीतर लोकतंत्र नहीं है। वहीं कांग्रेस के कुछ वर्षों को छोड़ दें, तो अमूमन चुनाव होते रहे हैं। महात्मा गांधी के समय भी अध्यक्ष का चुनाव होता था। एक बार फिर कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना तय है।
पहले शशि थरूर ने ट्वीट किया और कहा कि गुरुवार दोपहर दिग्विजय सिंह से मुलाकात हुई। कहा, वे हमारी पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए दिग्विजय सिंह के प्रत्याशी बनने का स्वागत करते हैं। हम दोनों इस बात पर सहमत हैं कि हमारे बीच प्रतिद्व्ंद्वियों का संघर्ष नहीं है, बल्कि दो दोस्तों के बीच दोस्ताना मुकाबला है हम दोनों चाहते हैं कि दोनों में से कोई रहे, पर कांग्रेस जीतेगी।
जवाब में दिग्विजय सिंह ने कहा, वे शशि थरूर से सहमत हैं। हम सांप्रदायिक शक्तियों से लड़ रहे हैं। हम दोनों गांधीवादी और नेहरू की विचारधारा में यकीन करते हैं। हम सांप्रदायिक शक्तियों से लड़ेंगे, हर कीमत पर।
दोनों प्रत्याशियों की मुलाकात दिल्ली में हुई। दिग्विजय सिंह शशि थरूर के आवास पर मिलने गए, जहां दोनों में चर्चा हुई।
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