जनता दल राष्ट्रवादी के नेशनल कंवेनर अशफाक रहमान ने सांसद असुद्दीन ओवैसी द्वारा तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार की खिचाई करने की जम कर तारीफ की है. उन्होंने कहा कि बीस लाख हिंदू महिलाओं और गुजरात में उनकी भाभी की पीड़ा खत्म करने की मांग करके ओवैसी ने वास्तविक मुद्दा उठाने का साहस किया.

अशफाक रहमान

अशफाक रहमान ने प्रेस बयान में कहा कि तीन तलाक़ बिल पर बहस के दौरान अकेले असद उद्दिन ओवैसी ही लड़ते नज़र आए, बड़ी दिलेरी से लड़े.बीस लाख हिंदू औरतों और गुजरात की’हमारी भाभी’ के सवाल को जिस ख़ूबसूरती से रखा, पूरा सदन सकते में आ गया. आज ओवैसी की मुस्लिम समाज में ख़ूब प्रशंसा हो रही है.

अशफाक रहमान ने कहा कि  मौजूदा  लोकसभा में तेईस मुसलमान मौजूद हैं.बदक़िस्मती से दो उलेमा मौलाना असरारूल हक़ क़ासमी और मौलाना बदरूद्दीन अजमल भी मौजूदा सदन के ही सदस्य हैं.दोनों उलेमा ने तीन तलाक़ बिल का कितना विरोध किया, ये शायद बताने की ज़रूरत नहीं है.

मौलाना असरार की सेक्युलर कांग्रेस पार्टी चूँकि भाजपा के साथ खड़ी थी तो मौलाना की बिसात क्या?बाहर में भले ही बयान देते रहें. बरगला कर मुसलमानों का वोट जो लेना है! सच बात यह है की बाक़ी मुस्लिम सांसदों ने मुसलमानों को मायूस किया. मगर ये ना समझिये की ओवैसी मुसलमानों के नायक बने रहेंगें. चुनाव आने दीजिए, ओवैसी से बड़ा खलनायक कोई नहीं होगा. वो फिर भाजपा के एजेंट ठहराए जायेंगे.

कुछ मुस्लिम नेता मोदीभक्त बन गये हैं  

अशफाक रहमान ने कहा कि  कई साइट पर मैं ख़बर देख पा रहा हूँ की’तीन तलाक़ पर ओवैसी ने मोदी को फिर से नंगा किया, भाजपा की बोलती की बंद’.मगर यही क़ौम उन्हें बेतरह से उन्हें नंगा करेगी. दस तोहमत लगाएगी. भाजपा का एजेंट क़रार देगी.राज्यों को सिर्फ़ अपने बाप की जागीर समझ कर बिहार,यूपी, महाराष्ट्र में नहीं आने की अपील ही नहीं, मरने- मारने पर तुल जाएगी. बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू के के सी त्यागी ने ओवैसी पर भाजपा से डील का शोशा छोड़ा था.लालू के चम्मच बने एक डॉक्टर तो हाथ धोकर पीछे पड़ गए थे. पता कीजिए डॉक्टर आज किस राह पर हैं,मोदी भक्ति का गीत किस क़द्र गा रहे हैं और के सी त्यागी की पार्टी भाजपा की एजेंटी में किस तरह उठक- बैठक कर रही है.

दरअसल, हमारी अपनी कोई सियासी सोच है ही नहीं.हम दूसरे की ज़बान बोलते हैं.कथित सेक्युलर नेताओं की ज़बान बोलते हैं.इसलिए,जब भी भारत में मुस्लिम नेतृत्व उभरती है, हम उसे भाजपा का एजेंट कह देते हैं.अल्लाह ने ज़बान तो अपनी दी है.मगर इस ज़बान का इस्तेमाल कोई और करता है. हम आज तक लालू, मुलायम, ममता, माया, सोनिया की ज़बान बोलते आए हैं. इसलिए, धोका भी उतना ही खाते हैं.

सेक्यलर भारत पर खतरा    

रहमान ने कहा कि   सेक्युलरिज़म का सारा ठीक़ा हमने ही ले रखा है. जबकि,सेक्युलर हिंदुस्तान कभी हमारे साथ खड़ा नहीं रहा. पचहत्तर ख़ामियों के बावजूद तीन तलाक़ का क़ानून जिस तरह बना वो सेक्युलर भारत केलिये ख़तरनाक संकेत है.सभी मुसलमान तीन तलाक़ के हामी नहीं हैं.मैं भी इस बिदत के साथ नहीं हूँ. मसला तीन तलाक़ का नहीं है.जिस हटधर्मी से सदन में पास कराया गया और पूरा सदन (सभी सेक्युलर पार्टी ने हथियार डाल दिया)जिस तरह से नतमस्तक रहा , कल को कॉमन सिविल कोड भी इसी तरह लाया जाएगा. हमारे जैसे मुसलमानों की असल चिंता यह है. सवाल यह है की तीन तलाक़ का मसला देश की समस्या क्यों नहीं है.अकेले,ओवैसी ही क्यों बोले. मुस्लिम वोट के सौदागरों के मुँह में दही क्यों जम जाता है. असल सवाल अपनी क्यादत का है. सदन में एक नहीं दस ओवैसी की ज़रूरत है. मुँह में ज़बान वाले प्रतिनिधि भेजिए, ज़्यादा से ज़्यादा भेजिए. अपने बूते राजनीति कर रहे अपने भाईयों को एजेंट कहना छोड़िए. अपने सियासी दुश्मनों की पहचान कीजिए. जो सत्तर सालों से ऐन मौक़े पर आप का साथ छोड़ देता है, आपको धोका देता है.

 

By Editor