असम के मुख्यमंत्री ने पिछड़ों का किया अपमान, हुआ भारी विरोध

असम के मुख्यमंत्री ने पिछड़ों का किया अपमान, हुआ भारी विरोध। हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा ब्राह्मणों, क्षत्रियों की सेवा करना शूद्रों का कर्तव्य।

भाजपा नेता तथा असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के दलित-पिछड़ा विरोधी बयान के बाद उनका भारी विरोध हो रहा है। इसे पिछड़ों का अपमान का जा रहा है। मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों की सेवा करना शूद्रों का कर्तव्य है। उन्होंने साफ तौर पर मनुस्मृति के भेदभावपूर्ण नीतियों का समर्थन किया है। डीएमके, सपा नेताओं पर हिंदुओं का अपमान करने का आरोप लगाने वाले भाजपा नेता इस मामले में मौन हो गए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सीपीएम ने असम के मुख्यमंत्री का पुरजोर विरोध किया है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी विरोध जताया है। सीपीएम ने असम के मुख्यमंत्री के ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए तीखा विरोध करते हुए कहा कि भाजपा का मनुवादी चेहरा बेनकाब हो गया है।

सरमा ने अपने पोस्ट में लिखा है कि खुद गीता में श्रीकृष्ण ने शूद्रों तथा वैश्यों का कर्तव्य बताया है। कहा है कि ब्राह्मणों, क्षत्रियों तथा वैश्यों की सेवा करना शूद्रों का स्वाभाविक कर्तव्य है। उनके इस बयान की कई लोगों ने कड़े शब्दों में निंदा की है। सरमा ने कहा था कि गीता के 18 वें अध्याय के 44 वें श्लोक में खुद भगवान कृष्ण ने यह कहा है।

भाजपा के नेता तमिलनाडु के उदयनिधि स्तालिन पर सनातन के अपमान का आरोप लगाते रहे हैं। खुद गृह मंत्री अमित शाह से लेकर बिहार के प्रदेश स्तर के नेता विरोध करते रहे हैं, लेकिन भाजपा के ही मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा के बयान पर चुप हो गए हैं। उधर पिछड़े तथा दलित नेताओं में आक्रोश देखा जा रहा है। वे उसे आंबेडकर के विचारों तथा संविधान के खिलाफ बता रहे हैं। पिछड़े नेताओं ने कहा कि भाजपा लोकतंत्र संविधान को खत्म करके मनुस्मृति लागू करना चाहती है।

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