बिहार में तेजस्वी ने कर रखी है तख्तापलट की तैयारी!
बिहार की राजनीति में भीतर ही भीतर एक बड़ा सवाल सुलग रहा है कि आखिर MIMI के चार विधायकों को तेजस्वी ने राजद में क्यों शामिल कराया, कोई धमाका होगा क्या?
बिहार की राजनीति में एक सवाल उमड़-घुमड़ रहा है। सियासी गलियारे में सभी एक-दूसरे से एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि बिहार में अभी कोई विधानसभा चुनाव नहीं है, लोकसभा चुनाव भी दूर है, तो आखिर तेजस्वी यादव ने AIMIM के चार विधायकों को राजद में क्यों शामिल कराया? आम तौर से किसी दूसरे दल के विधायक को अपनी पार्टी में शामिल कराने का सही वक्त आम चुनाव माना जाता है। ऐन चुनाव जब दूसरे दल के विधायक पार्टी में आएं, तो इससे पार्टी के पक्ष में हवा बनती है। तेजस्वी यादव एमआईएम विधायकों से कह सकते थे कि अभी मत आइए, चुनाव के वक्त आइएगा।
इसी बात को उलट कर देखें, तो कोई विधायक कब दल बदलता है? अमूमन जब चुनाव होनेवाले हों, तब। दल बदल कर अपना टिकट सुनिश्चित करना चाहते हैं। बिना चुनाव के भी अब दल बदल हो रहे हैं। कई राज्यों में इसके उदाहरण हैं। कई राज्यों में दल बदलने के कारण सत्ता बदल रही है। राजनीतिक गलियारे में इसी बिंदु पर बात आ कर ठहर जा रही है। क्या मध्यप्रदेश में भाजपा ने कांग्रेस के साथ जो खेल किया, वही खेल बिहार में तेजस्वी यादव भाजपा के साथ तो खेलने नहीं जा रहे।
इस चर्चा का आधार भी है। सरकार बनाने के लिए राजद के पास नैतिक बल है। वह राज्य की सबसे बड़ी पार्टी है। साथ ही महागठबंधन के अन्य दलों का बल जोड़ दें, तो अंतर केवल सात सीटों का रह जाता है। इस अंतर को पाटना कोई असंभव कार्य नहीं है। इतने विधायकों से कहा जा सकता है कि आप विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दें। राजद सरकार में मंत्री बन जाएं। इस्तीफा देकर मंत्री बनने के लिए इतने लोग तैयार भी हो सकते हैं। बिना किसी सदन के सदस्य रहते हुए भी कोई छह महीने तक मंत्री रह सकता है। फिर बाद में उन्हें किसी सदन का सदस्य बनाया जा सकता है। यही सवाल बिहार की राजनीति को मथ रहा है कि एमआईएम के पांच में से चार विधायकों को बिन मौसम तेजस्वी ने शामिल करा कर कोई राजनीतिक धमाके की तैयारी तो नहीं कर रखी है।
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