Exclussive रिपोर्ट में बलात्कारकांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के तीन भाषाओं के अखबारी साम्राज्य की परतें उधेड़ रहे हैं संजय कुमार. इस रिसर्च बेस्ड स्टोरी में ऐसी सच्चाइयां हैं जिससे पता चलता है कि कैसे सरकारी विज्ञापनों के लिए महाजाल बुना गया था.

ब्र्रजेश ठाकुर;कलंकित हुआ जीवन
 
संजय कुमार
 
मुज्जफरपुर बालिका कांड के खुलासे के बाद इस कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के चेहरे से नकाब उतर गया है। नकाब उतरा वैसे मीडिया मुगल का जो कई अखबारों का पंजीयन करा कर सरकारी खजाने को लुटा। इस घटना से दूसरे मीडिया मुगलों के बीच खलबली सी मच गई है। सीबीआई और अन्य एजेंसी द्वारा ब्रजेश ठाकुर के अखबारी साम्राज्य पर की गयी छापेमारी से कई खुलासे हुए। अखबार के नाम पर प्रातःकमल के पटना कार्यालय के उपर अयाशी का राज सामने आया तो वहीं समस्तीपुर में हालत-ए-बिहार, कार्यालय और पटना के बुद्ध मार्ग में न्यूज नेक्सट का प्रेस एवं कार्यालय का घोषित होना सिर्फ कागजों पर ही है। एजेंसी को दोनों अखबारों का कार्यालय नहीं मिला। पटना में प्रातः कमल कार्यालय जो कुछ मिला वह चैंकाने वाला है बल्कि अखबारी दुनिया के लिए कंलक है।
 
 
 
देश भर में 31 मार्च 2017 तक 1,14,820 पत्र-पत्रिकाएं पंजीकृत हैं। इनमें 16,993 अखबार हैं जबकि 97,877 पत्रिकाएं आदि। बिहार में कुल 685 अखबार हैं इनमें 403 हिन्दी दैनिक,17 अंग्रेजी और 165 उर्दू हैं । आंकडे कहते हैं कि एक मीडिया हाउस एक साथ कई राज्यों में अखबार तो निकालते ही हैं साथ ही एक साथ कई भाषा में भी अखबार निकालते हैं। कई के अच्छे बाजार हैं तो कई के सिर्फ फाइल और विज्ञापन बटोरने के लिए। इनमें ब्रजेश ठाकुर भी शामिल है।

न्यूज नेक्स्ट कहीं दिखा भी क्या
 
 
 
मीडिया की आड़ में ब्रजेश ठाकुर ने अपना साम्राज्य खड़ा किया है। हिन्दी दैनिक प्रातः कमल (मुज्जफरपुर), उर्दू दैनिक हालात-ए-बिहार( समस्तीपुर) और अंगे्रजी दैनिक न्यूज नेक्स्ट (पटना) का अघोषित मालिक है। हर जगह अपने को प्रातः कमल का संपादक कहते रहे हैं। भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक का कार्यालय, आर एन आई के अनुसार प्रातः कमल का संपादक राहुल आंनद भी कहते हैं कि मेरे पिता ब्रजेश ठाकुर ही अखबार का सब काम देखते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि पेपर घोटाले में मामला दर्ज होने के बाद बड़े ही सफाई से अपने बेटे राहुल आंनद को हिन्दी दैनिक प्रातः कमल (मुज्जफरपुर) का संपादक, प्रकाशक व प्रिंटर बना दिया तो वहीं अपनी बेटी निकिता आनंद को पटना से प्रकाशित अंगे्रजी दैनिक न्यूज नेक्स्ट का संपादक, प्रकाशक व प्रिंटर बना दिया। अपने रिश्तेदार भाई रमाशंकर सिंह को समस्तीपुर से प्रकाशित उर्दू दैनिक हालात-ए-बिहार का का संपादक, प्रकाशक व प्रिंटर बना दिया। अखबारों का प्रकाशन कर मीडिया मुगल बने ब्रजेश के अखबारी कारनामों का भी खुलासा हुआ। तीनों अखबार सवाल के घेरे में आ गये। अपने रसूख की आड़ में खुद, बेटा, भाई आदि को प्रेस मान्यता दिलवाना और सर्रकूलेशन का खेल कर सरकारी विज्ञापन बटोरने का खूब खेल किया।

हालात ए बिहार: समस्तीपुर में दफ्तर प्रेस मुजफ्फरपुर में
 
 

6 अगस्त से बंद है प्रात:कमल

वैसे बात करते हैं मुज्जफरपुर बालिका कांड के खुलासे के बाद इस कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के अखबारी दुनिया के कारनामों पर। मीडिया में आयी खबर के अनुसार प्रातः कमल अखबार से जुड़े लोग ब्रजेश ठाकुर को मैनेजर बताते हैं। इस प्रातः कमल की बात करें तो इस अखबार से जुड़े लोग बताते है कि कथित 63,000 प्रति छपने वाले इस अखबार में मैनेजर और मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म मामले का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के पिता राधा मोहन ठाकुर ने यह अखबार शुरू किया था। यह 12 पन्ने का एक दैनिक अखबार है जो साल 1982 से प्रकाशित हो रहा है। लेकिन घटना के बाद 6 अगस्त 2018 को अंतिम अंक निकाला। 7 अगस्त से अनिश्चित काल के लिए प्रकाशन नहीं करने का नोटिस दिया। एक समय में ब्रजेश ठाकुर 16 अखबार के एक मालिक होते थे। इस रैकेट का खुलासा वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया ने 1986 में कोलकाता से प्रकाशित होने वाले रविवार में और सुरेंद्र किशोर ने जनसत्ता में किया था। अखबार की आड़ में ये बहुत कुछ करता है
 
 
 
 
मुज्जफरपुर बालिका कांड( 34 बच्चियों के साथ नियमित रेप की पुष्टि) के खुलासे ने ब्रजेश ठाकुर के अखबारी दुनिया की पोल खोल दी है। अखबार के प्रकाशन में जालसाजी का खेल लंबे समय से करते आ रहे है। तीन अखबार की कहानी गजब है।

अखबारों की गजब कहानी

अखबार बाजार में दिखे या न दिखे सभी सरकारी दफ्तर और थानों में दिखता रहा है। हजारों सर्रकूलेशन का दावा कर करोड़ों का विज्ञापन हजम करने वाले ठाकुर के अखबार बाजार में नहीं के बराबर दिखते रहे। लेकिन ब्रजेश ठाकुर ने अपने मीडिया मुगल के दबंगई को हर जगह इस्तेमाल किया। आंकड़ों की माने या फिर भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक का कार्यालय, आर एन आई को अखबार की ओर से सांैपे गये दस्तावेजों को तो झोल सामने आता है। वर्ष 2016-17 को सौंपी गयी रिपोर्ट कई परत को खोलता है। मुज्जफरपुर से प्रकाशित होने वाले हिन्दी दैनिक प्रातः कमल अखबार का संपादक, प्रकाशक और प्रिंटर है राहुल आंनद। लेकिन बाप यानी ब्रजेश ठाकुर सब जगह बतौर संपादक जाने जाते है। बारह पेज वाला प्रातः कमल मुज्जफरपुर के साहू लेन से प्रकाशित होता है। आर एन आई न. 39501 वाले इस अखबार का अपना प्रेस भी है। अखबार का दावा है कि वर्ष 2016-17में औसतन 67,400 प्रति दिन अखबार छपा, जिसमें औसतन प्रति दिन 67,025 प्रतियां अखबार की बिकी। शहर में 20,220, बिहार के अन्य जिलों में 45,832 और बिहार के बाहर 1348 प्रतियां औसतन बिकी। अखबार ने पांच साल के अपने वार्षिक सर्रकुलेशन के वृद्धि में दावा किया है। हैरत यह बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में प्रातः कमल की ब्रिकी बढ़ती ही गई।

प्रात:कमल, 67 हजार प्रति बिक्री का दावा
 
इस अखबार ने समाचार संग्रह के लिए न्यूज एजेंसी यूएनआई की सेवा ली है। वहीं देश भर में नौ अंशकालीक विशेष संवाददाता/संवाददाता को रखा है,जिसमें सात पुरूष और दो महिला शामिल है। डेस्क पर दो समाचार संपादक, एक उपसंपादक और सात अन्य को रखा है। जबकि दो फोटोग्राफर तथा फीचर, संपादकीय और कमेंटरी के लिए एक- एक व्यक्ति को रखे हुए है। प्रबंधन में दो,विज्ञापन में दो, पिं्रटिंग में पांच, सरकूलेशन में दो और अन्य तीन को नियुक्त कर रखा है।
 
 

हालात ए बिहार की हालत दंग करने वाला

अब देखें ब्रजेश ठाकुर के दैनिक उर्दू हालात-ए-बिहार, आरएनआईन. 39656, का खेल। ब्रजेश ने इस अखबार का संपादक, प्रकाशक और पिं्रटर अपने रिश्तेदार भाई रमाशकंर सिंह को बना रखा है। संपादक, प्रिंटर एवं प्रकाशक का पता है हालात-ए-बिहार, मनोरमा भवन, मनोरमा लेन, अमीरगंज, धर्मपुर, ताजपुर रोड़, समस्तीपुर, बिहार। जबकि प्रिंटिंग प्रेस का पता प्रातः कमल ऑफसेट प्रेस,साहू लेन मुज्जफरपुर दिया हुआ है। यानी अखबार का प्रकाशन कार्यालय समस्तीपुर है लेकिन छपता प्रातः कमल ऑफसेट प्रेस, मुज्जफरपुर से। हालांकि हालात-ए-बिहार का समस्तीपुर में कुछ भी नहीं है। संपादकीय और प्रेस कार्यालय तो है ही नहीं। वहीं, आर.एन.आई. को सौंपे वार्षिक रिपोर्ट में रमाशकंर सिंह ने दावा किया है कि वर्ष 2016-17 में औसतन 67,829 प्रति दिन अखबार छपा, जिसमें औसतन प्रति दिन 66,829 प्रतियां अखबार की बिकी। शहर में 18,949, बिहार के अन्य जिलों में 47,373 और बिहार के बाहर 1354 प्रतियां औसतन बिकी।
 
 
इस अखबार ने समाचार संग्रह के लिए न्यूज एजेंसी यूएनआई की सेवा ली है। वहीं देशभर में तीन अंशकालीक विशेष संवाददाता/संवाददाता को रखा है, जिसमें दो पुरूष और एक महिला शामिल है। डेस्क पर एक समाचार संपादक, एक उपसंपादक और तीन अन्य रखा है। जबकि एक फोटोग्राफर तथा फीचर, संपादकीय और कमेंटरी के लिए एक-एक व्यक्ति को रखे हुए है। सामान्य दो, प्रबंधन में दो, विज्ञापन में दो, प्रिंटिग में चार और सरकूलेशन में दो नियुक्त कर रखा है।
 

न्यूज नेक्स्ट:आफिस कहां है?

 
ब्रजेश ठाकुर यहीं तक सीमित नहीं रहे। जनाब ने एक दैनिक अंगे्रजी न्यूज नेक्सट भी पटना से निकाली है। संपादक, प्रकाशक और प्रिंटर अपनी बेटी निकिता आंनद को बना रखा है। संपादक द्वारा आरएनआई को दाखिल सालाना रिपोर्ट में यह अखबार पटना के आई आई बीएम परिसर, बुद्ध मार्ग से पिें्रट एवं प्रकाशित होता है। सच्चाई यह है कि आई आई बीएम परिसर, बुद्ध मार्ग, पटना में दैनिक अंगे्रजी न्यूज नेक्सट का भी कोई आफिस है ही नहीं और न ही कोई प्रिंटिंग प्रेस है। सिर्फ प्रातःकमल कार्यालय को बोर्ड लगा हुआ है। यहां भी सीबीआई ने छापा मारा है। खबर है कि यह अखबार भी प्रातः कमल प्रेस मुज्जफरपुर से ही छपता रहा है।
आर.एन.आई. को सौंपे वार्षिक रिपोर्ट में न्यूज नेक्सट आर.एन.आई.न. बीआइएचईएनजी/2012/43181 की संपादक निकिता आंनद ने दावा किया है कि वर्ष 2016-17 में औसतन 42,491 प्रति दिन अखबार छपा, जिसमें औसतन प्रति दिन 42,145 प्रतियां अखबार की बिकी। शहर में 20,220 बिहार के अन्य जिलों में 45,832 और बिहार के बाहर 1348 प्रतियां औसतन बिकी।
 
 
 
इस अखबार ने समाचार संग्रह के लिए गुजरात की न्यूज जीएनएस की सेवा ली है। वहीं देशभर में चार अंशकालीक विशेष संवाददाता/संवाददाता को रखा है, जिसमें तीन पुरूष और एक महिला शामिल है। डेस्क पर एक समाचार संपादक, एक उपसंपादक और दो अन्य रखा है। जबकि एक फोटोग्राफर तथा फीचर, संपादकीय और कमेंटरी के लिए एक-एक व्यक्ति को रखे हुए है। सामान्य दो, प्रबंधक चार, विज्ञापन में दो, प्रिंटिंग में पांच और सरकूलेशन में दो नियुक्त कर रखा है।
 
 
 
 
तीन भाषा में अखबार छाप कर ब्रजेश ठाकुर ने जो अपना साम्राज्य खड़ा किया था वह बालिका गृह कांड़ की वजह से ढह गया। वहीं देश भर में ऐसे कई मीडिया घराने हैं जो ब्रजेश के अखबारी दुनिया की राह पर चल रहे हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार की नजर से ये कब तक बचते रहेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)।

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