एकमात्र सीएम हेमंत ने किन युवा आंदोलनकारियों को किया सलाम
विपक्ष में रहने पर संघर्ष की बात सभी करते हैं, पर क्या आपने ऐसे सीएम का बयान देखा है, जिन्होंने सरकार के विरुद्ध संघर्ष में जेल जाने वालों को सलाम कहा?
कल दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया। उसने जेएनयू की नताशा नरवाल और देवांगना कलिता तथा जामिया मिलिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दी। इसके साथ ही कोर्ट ने जो कहा वह इतिहास में दर्ज हो गया। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और सरकार की मानसिकता पर जबरदस्त सवाल किया। कहा, सरकार का विरोध करने के संवैधानिक अधिकार और आतंकवाद के बीच फर्क को धुंधला कर दिया गया है, जो लोकतंत्र के लिए दुखद है।
कोर्ट के फैसले की हर तरह के आंदोलनकारियों ने खूब सराहना की, लेकिन जो कुर्सी पर बैठे हैं, वे चुप ही रहे। देश में एकमात्र मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोर्ट के फैसले की सराहना की। यही नहीं, उन्होंने नताशा, कलिता और तन्हा को उनके संघर्ष के लिए सलाम कहा। किसी मुख्यमंत्री का यह कहना भी बार-बार याद किया जाएगा। किसी के लिए ऐसा दूसरा उदाहरण खोजना कठिन होगा।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट किया-सच्चाई दब सकती है पर छुप नहीं सकती। दिल्ली हाई कोर्ट के आज के फ़ैसले ने इस सत्य को और भी मज़बूती के साथ स्थापित करने का कार्य किया है। साथ ही धन्यवाद ये बताने के लिए की विरोध के अधिकार और आतंकवाद का फर्क को धुंधला करने की कोशिशें हमारे महान लोकतंत्र के लिए अत्यंत नुक़सानदेह साबित होगी।
नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा के संघर्ष को मेरा सलाम, मेरा अभिनंदन। लड़ेंगे, जीतेंगे।
हेमंत का यह ट्वीट इसलिए असाधारण है, क्योंकि आज सरकार का विरोध करना देश का विरोध करना बना दिया गया है। पत्रकार सिद्दीकी कप्पन साढ़े छह महीने से जेल में हैं, उन्होंने तो सरकार का विरोध भी नहीं किया था। वे तो हाथरस में रिपोर्टिंग करने जा रहे थे। पत्रकार विनोद दुआ को सरकार का विरोध करने पर रोजद्रोह का मुकदमा दायर कर दिया गया था।
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और सबसे बढ़कर दिल्ली और आस-पास के राज्यों में महीनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं, उन पर दमन आज भी जारी है। अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार विषवमन किया जाता है। ऐसे सभी आंदोलनकारियों को हेमंत सोरेन के बयान से बल मिलेगा।
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