जो भाजपा के साथ गया, एक समय के बाद भाजपा ने ही उसे तोड़ दिया। हरियाणा का उदाहरण ताजा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस्तीफा दे दिया है। नए मुख्यमंत्री का नाम भी सामने आ चुका है। बड़ी बात यह हुई कि भाजपा ने अपने सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को ही तोड़ दिया है। उसके दस विधायक हैं। पार्टी के पांच विधायक बैठक में नहीं पहुंचे। माना जा रहा है कि वे दुष्यंत चौटाला के ये पांच विधायक पाला बदल कर भाजपा के साथ जाएंगे। याद रहे कभी भाजपा ने बिहार में नीतीश कुमार के साथ ऐसा ही खेल किया था। चिराग पासवान के जरिये जदयू का कद छोटा कर दिया था। महाराष्ट्र में वह कई दलों को तोड़ चुकी है।

हरियाणा में उथल-पुथल जारी है। भाजपा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनकी जगह नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। खट्टर का वही हाल हुआ, जो मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान का हुआ। हरियाणा में 90 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा के 41 विधायक हैं। उसे सिर्फ पांच विधायक चाहिए। निर्दलीय समर्थन देने को तैयार हैं। जेजेपी में भी फूट पड़ गई है। चौटाला ने दिल्ली स्थित फॉर्म हाउस पर बैठक बुलाई थी, जिसमें दस में से पांच विधायक नहीं पहुंचे। इससे पहले चौटाला ने गृह मंत्री अमित शाह तथा जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। उन्होंने लोकसभा चुनाव में दो सीटों की मांग की थी। प्रदेश में कुल दस सीटें हैं। यहां भाजपा एक भी सीट देने को तैयार नहीं थी।

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कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा -ऊपर वाले की लाठी में आवाज़ नहीं होती हरियाणा के कुछ सबक़ हैं। पहला तो यह कि अगर मोदी की BJP के साथ जुड़ोगे तो पहले तुम ही निगले जाओगे. JJP के विधायक दुष्यंत चौटाला को छोड़कर BJP में शामिल हो रहे हैं। दूसरा खट्टर बदले गये – यही हैसियत है BJP के मुख्यमंत्रियों की, जब मोदी-शाह चाहें उन्हें कठपुतली की तरह बदल सकते हैं, चाहे कितनी भी नफ़रत फैला लो। तीसरा और सबसे बड़ा सबक़ यह है कि ऊपर वाले का चाबुक देर से ही सही पर चलता ज़ोर से है. चले थे हिमाचल के धरती पुत्र सुखविंदर सिंह सुक्खू को निपटाने, ख़ुद ही निपट गए! चौथा और सबसे ज़रूरी सबक़ है कि जनता को मूर्ख समझना छोड़ दे BJP. 4.5 साल साथ मिलकर खूब लूटा दोनों BJP-JJP ने और अब कांग्रेस को मज़बूत देख कर वोट बाँटने के अंदेशे से नूराकुश्ती की जा रही है. बाबू यह पब्लिक है, सब जानती है।

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