प्रेम का यह अनोखा मामाला है. बिहार के खगड़िया जिला जज की बेटी कथित तौर पर अंडर हाउस अरेस्ट है. वजह यह है कि वह दिल्ली के 25 वर्षीय वकील से प्रेम में पड़ा गयी. इस मामले में पटना हाई कोर्ट सख्त है और उसने पुलिस को आदेश दिया है की जज की बेटी को हाईकोर्ट में पेश किया जाये.

खगड़िया जिला जज  सुभाष चंद्र चौरसिया की बेटी को पुलिस आज( मंगलवार ) 2.15 बजे स्कॉर्ट कर अदालत में पेश करने वाले ही. मुख्य न्यायधीश  राजेंद्र मेनन की खंडपीठ मामले की सुनवाई करने वाली है.

दर असल एक न्यूज वेबसाइट बार ऐंड बेंच ने प्रेम प्रसंग के इस मामले की खबर छापी थी. और बताया था कि खगड़िया के जिला जज की बेटी यशस्विनी पिछले दिनों दिल्ली जुडिसियल सर्विसेज की परीक्षा देने गयी थी. उसके साथ उनकी मां भी थीं. इसी बीच बेटी ने अपने प्रेमी से मुलाकात की. इस मुलाकात की भनक मां को लग गयी. मां ने बेटी को परीक्षा देने से रोक दिया और उन्हें ले कर खगड़िया चली आयीं. इस बीच बेटी ने सारी कहानी अपने प्रेमी  सिद्धार्थ बंसल को सुनाई और बताया कि उसे घर में नजरबंद कर दिया गया है. लड़की का कहना है कि वह सिद्धार्थ बंसल से प्रेम करती है और उनसे शादी करना चाहती है. बंसल से यशस्विनी की पहली मुलाकात 2012 में हुई थी. तब यशस्विनी पटना के चाणक्य लॉ युनिवर्सिटी में पढ़ती थी.

 

बार ऐंड बेंच की खबर पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया.

इधर जिलाजज सुभाषचंद्र चौरसिया ने अपने वकील के माध्यम से अदालत को बताया कि एक पिता की भावना को भी अदालत समझे. मामले में आज सुनवाई होनी है.

यशस्विनी 24 साल की हैं. व्यस्क हैं. वह अपने फैसले खुद लेने के लिए स्वतंत्र हैं. जाहिर है अदालत इस मामले में फैसला लेते वक्त इन बिंदुओं को ध्यान में रखेगी.

पर एक महत्वपूर्ण सवाल की कल्पना कीजिए. सवाल यह कि अगर ऐसा ही कोई मामला  जिला जज सुभाष चौरसिया के समक्ष आता तो वह क्या फैसला करते?  हमारा समाज ऐसे मामलों में काफी आर्थोडाक्स है. चाहे जज ही क्यों ना हों. जब मामला औरों का हो तो हम प्रेम करने वालों के अधिकार के पक्ष में खड़े हो जाते हैं. पर बात खुद की आती है तो हमरा समाज कुछ और रवैया अपना लेता है. इस लिहाज से देखें तो जिला जज की बेटी का मामाला हमारे समाज के असली रूप को जाहिर करता है.

हमारा मानना है कि प्रेम के इस रेयर मामले को गंभीरता से समझने की जरूरत है. हम, आप और हममे से ज्यादातर लोग प्रेम पर सुविधाजनक रवैया अपनाते हैं. इस लिहाज से देखे तो खगड़िया जिला जज सुभाष चंद्र चौरसिया ने भी वही रवैया अपनाया. लेकिन मामला खुदके बजाये किसी और से जुड़ा हो तो हमारा समाज आदर्शवादी बन जाता है. हमारा समाज प्रेम जैसे संवेनशील मामले पर अभी भी परिक्व नही हुआ है.

 

 

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427