‘लड़कियों से स्कूल गेट पर कहना कि हिजाब उतारो निजता पर हमला’
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा कि स्कूल के गेट पर लड़कियों से यह कहना कि हिजाब उतार दो, उनकी निजता तथा सम्मान पर हमला है।
कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला नहीं दे सका। दो जजों की बेंच में सुनवाई हो रही थी। दोनों जजों के एकमत नहीं होने के कारण कोई स्पष्ट फैसला नहीं हो सका। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधाशुं धूलिया ने कहा कि स्कूल और कॉलेज जानेवाली लड़कियों से स्कूल के गेट पर कहना कि हिजाब उतार दो, यह लड़कियों की निजता और उनके सम्मान पर हमला है।
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यों वाली बेंच में फैसला नहीं होने पर अब मामला बड़ी बेंच में जाएगी। जस्टिस धूलिया ने कहा कि स्कूल के गेट पर हिजाब उतारने को कहना सबसे पहले लड़ियों की निजता पर हमला है, फिर यह लड़कियों के सम्मान और प्रतिष्ठा पर हमला है और अंतिम रूप से लड़कियों को धर्मनिरपेक्ष शिक्षा से वंचित करना है। ऐसा करना हमारे संविधान की आर्टिकल 19 (1) (ए), आर्टिकल 21 तथा आर्टिकल 25 (1) का सीधा उल्लंघन है।
जस्टिस धूविया ने कहा कि कोई भी छात्रा को उसकी निजता तथा सम्मान का अधिकार है। और यह अधिकार स्कूल-कॉलेज के परिसर या क्लास रूम में खत्म नहीं हो जाता, बल्कि छात्रा का यह अधिकार उसके क्लास रूम तथा स्कूल के कैंपस में भी बना रहता है। किसी लड़की को उसके संवैधानिक अधिकार से वंचित नहीं कर सकते।
कर्नाटक सरकार के फैसले की वैधता पर विचार करने तथा फैसला लेने वाली बेंच के दूसरे जज जस्टिस हेमंत गुप्ता की राय भिन्न थी। वे कर्नाटक सरकार के फैसले से सहमत थे। सुप्रीम कोर्ट से स्पष्ट फैसला नहीं आने पर अब सबकी नजर बड़ी बेंच पर है।
मालूम हो कि कर्नाटक में भाजपा की सरकार है और उसने स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसे लेकर भाजपा काफी सक्रिय रही है। इसके विपरीत मुस्लिमों के कई संगठन तथा अन्य संगठन प्रतिबंध के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। प्रदेश में हिजाब को लेकर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की खूब कोशिश हुई। वहां अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं, इसलिए भी सबकी नजर है।
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