मायावती ने अपने सांसद दानिश अली को पार्टी से किया सस्पेंड।
मायावती ने अपने सांसद दानिश अली को पार्टी से किया सस्पेंड। कल ही दानिश ने महुआ मोइत्रा के पक्ष में उठाई थी आवाज। क्या वे अब कांग्रेस में जाएंगे?
बसपा प्रमुख मायावती ने अपने सांसद दानिश अली को पार्टी से निलंबित कर दिया। उन पर पार्टी विरोधी कार्य करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की गई है। इसी के साथ यह अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि क्या वे अब कांग्रेस का हाथ थामेंगे। मालूम हो कि सितंबर में लोकसभा के सदन में भाजपा के सांसद रमेश विधूरी ने उन्हें कटुआ, आतंकवादी जैसे शब्दों से संबोधित करते हुए देख लेने तक की धमकी दी थी। उसके बाद बसपा ने उनका साथ नहीं दिया। पार्टी नेताओं ने सिर्फ ट्वीट किए, लेकिन इसे बड़ा मुद्दा नहीं बनाया। जबकि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी दूसरे दिन ही उनसे मिलने उनके आवास पर पहुंचे थे।
दानिश अली लोकसभा के सदस्य हैं। वे उत्तर प्रदेश के अमरोहा से सांसद चुने गए हैं। 21 सितंबर, 2023 की रात नए संसद भवन में उन्हें भाजपा सांसद ने गाली दी थी, लेकिन भाजपा सांसद पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस बीच कल ही टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई। दानिश अली ने महुआ मोइत्रा की सदस्यता समाप्त करने का कल विरोध किया था। वे अकले संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के निकट विरोध करते दिखे थे। उन्होंने एक पोस्टर लिया था, जिस पर लिखा था पीड़ित को दोषी बताना बंद करो।
उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि भाजपा सांसद कह रहे हैं कि महुआ मोइत्रा ने संसद की मर्यादा भंग की, जबकि 21 सितंबर की रात मेरे साथ जो किया गया, क्या उससे संसद की मर्यादा भंग नहीं हुई थी। साफ है उन्होंने महुआ मोइत्रा के पक्ष में आवाज उठाई।
अब माना जा रहा है कि दानिश अली कांग्रेस में जा सकते हैं। लोकसभा के पटल पर उनके साथ गालीगलोज के बाद राहुल गांधी उनके घर मिलने पहुंचे थे। तभी से उनका झुकाव कांग्रेस की तरफ माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश में जिस तरह मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस की तरफ बढ़ा है, उससे भी अनुमान लगाया जा रहा है कि वे कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। संभव है कि बसपा प्रमुख मायाती को यह अंदाजा हो कि वे देर सबेर कांग्रेस में चले जाएंगे, इसीलिए उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया।
दानिश अली को पार्टी से निलंबित करने का अर्थ ही है कि एक तरह से उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया है। कहा जा रहा है कि केवल तकनीकी कारणों से उन्हें निलंबित किया गया है, लेकिन वास्तव में उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। हालांकि वे तुरत कांग्रेस में शामिल नहीं हो सकते, क्योंकि तब दल बदल विरोधी कानून के दायरे में वे आ सकते हैं।
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