प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मई से एक जून तक ध्यान करेंगे। 2019 में भी प्रधानमंत्री ने ठीक मतदान के दिन केदारनाथ की गुफा में ध्यान किया था और टीवी चैनलों ने लाइव दिखाया था। इस बार प्रधानमंत्री कन्याकुमारी में ध्यान करेंगे। रॉक मेमोरियल जाएंगे और वहीं ध्यान करेंगे, जहां स्वामी विवेकानंद ने किया था। जाहिर है इस बार फिर से सारे टीवी चैनलउनके ध्यान को दिखाएंगे। एक तरफ देश में अंतिम चरण का मतदान होगा, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी भगवा कपड़े पहन कर ध्यान करेंगे। स्पष्ट है यह मतदाताओं में हिंदू गुरु के रूप में खुद को स्थापित करने की उनकी कोशिश है साथ ही जनता के वास्तविक मुद्दों रोजी-रोटी से ध्यान भटकाने की कोशिश भी है। जब वे ध्यान करेंगे, तब बनारस में मतदान हो रहा होगा। 2019 में भी ऐसा ही हुआ था। उनके ध्यान का दिन चुनाव का दिन ही होता है।
इधर विपक्षी इंडिया गठबंधन ने एक जून को दिल्ली में बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति रपर चर्चा होगी। बैठक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुलाई है, जिसमें 4 जून को बाद की स्थितियों पर विचार किया जाएगा।
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NDA का बुरा हाल, मंत्री संतोष सुमन की सभा में 75 लोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धार्मिक ध्रुवीकरण की लगातार कोशिश कर रहे हैं। आज उन्होंने झारखंड की एक सभा में कहा कि संडे को छुट्टी हिंदू परंपरा से संबंधित नहीं है। संडे को छुट्टी की परंपरा ईसाइयों से जुड़ी है। इसके पहले वे मंगलसूत्र, मटन, भैंस का जिक्र कर चुके हैं। पसमांदा मुसलमानों का आरक्षण खत्म करने की बात कर चुके हैं। हिंदू-मुस्लिम के बाद झारखंड में उन्होंने नया विवाद छेड़ने की कोशिश की है। उनकी कोशिश यही है कि देश मंगलसूत्र, भैंस, संडे-मंडे में उलझा रहे और बेरोजगारी, महंगाई पर बात न करे। हालांकि ऐसा होता नहीं दिख रहा है। चुनाव में लोग रोजी-रोटी, महंगाई पर ही बात कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या लोग एक जून को प्रधानमंत्री के ध्यान से प्रभावित होकर अपने मुद्दे भूल जाएंगे।