निकाय चुनाव में OBC आरक्षण खत्म, गर्म हो गई यूपी की सियासत
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में OBC आरक्षण खत्म कर दिया है। यूपी की सियासत में उबाल आ गया है। सरकार आयोग बनाने में रही विफल।
उत्तर प्रदेश की राजनीति ठंड के मौसम में भी गरमा गई है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को समाप्त कर दिया है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि यूपी सरकार जल्द निकाय चुनाव कराए। ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य मान कर चुनाव कराए जाएं। कोर्ट के इस आदेश के बाद भाजपा सरकार बुरी तरह घिर गई है। पहले समाजवादी पार्टी ने सरकार पर ओबीसी आरक्षण के लिए कोर्ट में मजबूती से तर्क नहीं देने का आरोप लगाया, फिर बसपा प्रमुख मायावती ने भी सरकार पर हमला बोला। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि जबल इंजन की सरकार में पिछड़ों का आरक्षण खत्म क्यों हुआ। 18-18 घंटे काम करने वाली सरकार छह महीने में भी पिछड़ों के आरक्षण के लिए आयोग नहीं बना सकी।
UP : आरक्षण बिना निकाय चुनाव, JDU ने BJP की बोलती बंद की
भाजपा बैकफुट पर नजर आ रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर हमला बोलते हुए नारा दिया-भाजपा हटाओ, देश बचाओ। कहा कि आरक्षण विरोधी भाजपा निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है। वह पिछड़ों के आरक्षण का हक़ छीन रही है, कल भाजपा बाबा साहब द्वारा दिए गये दलितों का आरक्षण भी छीन लेगी। सपा ने कहा भाजपा यादव विरोधी तो थी ही, भाजपा ने कुर्मी, कोइरी, लुहार, भुर्जी, कश्यप, निषाद, मल्लाह, गोंड, धुरिया, नाई, तेली, मौर्य, शाक्य, कुशवाहा समेत सभी अन्य पिछड़ा वर्ग सबको धोखा दिया है, समस्त पिछड़ा वर्ग भाजपा की नीयत जान ले!
भाजपा की हार में, आरक्षण की जीत है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 27, 2022
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को मिले आरक्षण को लेकर सरकार की कारगुजारी पर हाईकोर्ट का फैसला सही मायने में भाजपा की ओबीसी एवं आरक्षण-विरोधी सोच व मानसिकता को प्रकट करता है। यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का ईमानदारी से अनुपालन करते हुए ट्रिपल टेस्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था को समय से निर्धारित करके चुनाव की प्रक्रिया को अन्तिम रूप दिया जाना था, जो सही से नहीं हुआ। इस गलती की सजा ओबीसी समाज बीजेपी को जरूर देगा।
1. यूपी में बहुप्रतीक्षित निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक अधिकार के तहत मिलने वाले आरक्षण को लेकर सरकार की कारगुजारी का संज्ञान लेने सम्बंधी माननीय हाईकोर्ट का फैसला सही मायने में भाजपा व उनकी सरकार की ओबीसी एवं आरक्षण-विरोधी सोच व मानसिकता को प्रकट करता है। 1/2
— Mayawati (@Mayawati) December 27, 2022
भाजपा में खामोशी है। बिहार भाजपा के सांसद सुशील मोदी इतने बड़े मामले पर खामोश हैं। ओबीसी आरक्षण पर बोलने के बजाय लालू प्रसाद के खिलाफ ट्वीट पर ट्वीट कर रहे हैं।
बताइए किस राज्य में CAR वाले हैं सबसे ज्यादा, गुजरात? ना..ना..।