मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा को गच्चा दे दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर दी। चुनाव में जीत की अग्रिम बधाई दी और साथ ही बिहार की मांग रख दी। प्रधानमंत्री से मिलने के बाद उन्हें गृहमंत्री अमित शाह से मिलना था। कहा जा रहा है कि नीतीश की मांग सुनने के बाद प्रधानमंत्री ने उन्हें अमित शाह से मिलने को कहा। मुख्यमंत्री ने अमित शाह से मिलने के बजाय फोन पर बात की और आज ही पटना लौट आए।
इसी के साथ थोड़ी देर पहले तक नीतीश कुमार के पद छोड़ने की अटकलों पर विराम लग गया है। अब साफ हो गया है कि वे बिहार में मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ने जा रहे हैं और न ही केंद्र की राजनीति में जा रहे हैं। अमित शाह से मुलाकात किए बिना नीतीश कुमार के पटना लौट आने के बाद भाजपा खेमे में मायूसी छा गयी है। थोड़ी देर पहले तक भाजपा के संभावित मुख्यमंत्री के नामों की खूब चर्चा चल रही थी, लेकिन बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की शर्त रखने के साथ ही कहानी पूरी तरह बदल गई है।
नीतीश कुमार राजनीति के कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं। 2009 में नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा जो देगा, उसका समर्थन करेंगे। वे तब यूपीए में नहीं गए और बिहार में भाजपा के साथ सरकार चलाते रहे। 2024 में जब वे फिर से एनडीए के साथ गए, तब उनकी मांग थी कि बिहार में मध्यावधि चुनाव कराया जाए। लोकसभा चुनाव के साथ ही बिहार विधानसभा का चुनाव भी हो, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी इस पर सहमत नहीं हुए। नीतीश चाहते थे कि जिस तरह लोकसभा चुनाव में उन्हें 16 सीटें दी गई हैं, उसी तरह विधानसभा चुनाव में जदयू और भाजपा 100-100 सीटों पर चुनाव लड़े। ऐसा करके वे अपनी पार्टी को तीसरे नंबर की पार्टी से पहले नंबर की पार्टी बना सकें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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अब फिर से नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा को सामने ला दिया है। अगर इंडिया गठबंधन नीतीश कुमार की मांग मान लेता है, तो वे फिर से इंडिया गठबंधन में भी जा सकते हैं। अब सबकी नजर चुनाव परिणाम पर है। चुनाव परिणाम के बाद नीतीश नए पत्ते भी खोल सकते हैं।