अब पटना जल्द ही गंगा नदी से लगे उन कुछ प्रमुख शहरों में शामिल हो जाएगा, जहां शत-प्रतिशत सीवेज शोधन क्षमता होगी. इससे सुनिश्चित हो सकेगा की किसी भी प्रकार का दूषित जल नदी में नहीं गिरे. शहर में सीवेज प्रबंधन प्रणाली में नई जान डालने के लिए एनएमसीजी ने 3582.41 करोड़ रूपये की 11 परियोजनाओं को मंजूरी दी है.

नौकरशाही डेस्‍क

इससे 1140.26 किलोमीटर की सीवरेज लाइनें बिछाई जाएंगी और सीवेज शोधन क्षमता 350 एमएलडी हो जाएगी. यह 2035 तक शहर की सीवेज शोधन जरूरतों को पूरा करेगी, जब उसका सीवेज उत्पादन करीब 320 एमएलडी होने का अनुमान है. नई व्यवस्था में दीघा और कंकड़बाग सीवरेज क्षेत्र भी शामिल होंगे, जहां अब तक कोई शोधन संयंत्र नहीं है. इन परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर पटना उन कुछ शहरों में शामिल हो जाएगा, जहां शत-प्रतिशत सीवेज शोधन क्षमता है.

गंगा सफाई राष्ट्रीय मिशन ने शहर के लिए एक विस्तृत सीवेज प्रबंध योजना तैयार की है जो वर्तमान निष्क्रिय प्रणाली का स्थान लेगी. यह योजना सीवेज शोधन जरूरतों को 2035 तक पूरा करेगी. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अक्टूबर, 2017 को 738.04 करोड़ रूपये की लागत वाली चार सीवरेज परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी. ये चारों परियोजनाएं मिलकर 120 एमएलडी सीवरेज शोधन संयंत्र क्षमता तैयार करेंगी. बेउर, करमालीचक और सैदपुर सीवरेज क्षेत्रों के लिए वर्तमान 20 एमएलडी को अपग्रेड करेंगी. इसके लिए बेउर और सैदपुर क्षेत्रों में 234.84 किलोमीटर सीवर लाईन बिछाई जाएगी.

मालूम हो कि पटना भारत के उन बसे हुए शहरों में से एक है जिसकी आबादी 20 लाख से अधिक हैं. शहर के पश्चिमी भाग में सोन नदी है. जबकि दक्षिणी हिस्से में पुनपुन नदी है जो बाद में गंगा नदी से मिल जाती है.   पटना में वर्तमान सीवेज शोधन संयंत्र पुराने हो चुके हैं. पुरानी सीवर लाइनें बंद पड़ी हैं, जिसके कारण दूषित पानी शोधन के लिए सीवेज शोधन संयंत्रों में नहीं जा पाता. इसके परिणामस्वरूप ये संयंत्र निष्क्रिय पड़े हैं और सीवेज नदियों में जा रहा है. वहीं, सात अन्य सीवरेज परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में है. इनमें से 1402.89 करोड़ रूपये के दीघा और कंकड़बाग सीवरेज क्षेत्रों को पीपी मोड़ आधारित हाइब्रिड एन्यूइटी के अंतरर्गत मंजूरी दी गई है.

708.63 करोड़ रूपये की लागत वाले करमालीचक और सैदपुर क्षेत्रों के लिए सीवर नेटवर्क कार्य जल्दी ही शुरू कराया जाएगा, जबकि 60 एमएलडी सीवेज शोधन संयंत्र क्षमता सृजित करने और 732.85 करोड़ रूपये की लागत से 198.38 किलोमीटर सीवर नेटवर्क बिछाने के लिए पहाड़ी क्षेत्र में तीन और परियोजनाएं कार्यान्वयन के चरण में है. वर्तमान में चल रही सीवेज प्रबंधन परियोजनाओं के अलावा, 254.52 करोड़ रूपये की पटना रिवर फ्रन्ट विकास परियोजना पूरा होने के अंतिम चरण (80 प्रतिशत से अधिक कार्य कर लिया गया है) में है. इसके अंतर्गत 16 घाट और 6.6 किलोमीटर के विचरण मार्ग के साथ अन्य सेवाओं शौचालयों, स्नान गृहों और कपड़े बदलने के कमरों आदि को विकसित किया गया है. नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत विकसित पटना में पथरी घाट ने 2ए एशिया आर्किटेक्चर पुरस्कार-2016 जीता. नदी की सतह की सफाई परियोजना के अंतर्गत पटना में 3.96 करोड़ रूपये की लागत से कचरा स्किमर लगाया गया है.

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427