राजद और जदयू दोनों कर रहे मध्यावधि चुनाव की तैयारी
बिहार में अचानक राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। क्या मध्यावधि चुनाव होगा? जदयू-भाजपा और राजद की तैयारियों से ऐसा ही लगता है।
कुमार अनिल
कुछ ही दिनों के भीतर राजद, जदयू और भाजपा की प्रदेश कमिटियों की बैठक और उसके फैसले संकेत दे रहे हैं कि बिहार में अपनी-अपनी राजनीतिक जमीन के विस्तार के लिए सभी दल कितने व्याकुल हैं। राजद ने तो स्पष्ट रूप से कहा है कि सूबे में मध्यावधि चुनाव होंगे। पार्टी का मानना है कि जदयू और भाजपा के बीच संबंध सहज नहीं हैं। अटल-आडवाणी के समय प्रदेश में जदयू-भाजपा के बीच जो संबंध था, वह मोदी-शाह के आज के युग में बिल्कुल नहीं है। आज राजद के 22 प्रदेश उपाध्यक्ष के साथ बैठक में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी शामिल थे। 16 जनवरी को महासचिवों की बैठक होगी।
राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन कहते हैं कि बंगाल में चुनाव के बाद मध्यावधि चुनाव होगा। इसीलिए बैठक में बूथ स्तर पर कमिटी मजबूत करने का निर्णय लिया गया है। संगठन की मजबूती के साथ राजनीतिक मोर्चे पर भी कई कार्यक्रम तय किए गए, जिनमें किसान आंदोलन खड़ा करना प्रमुख है। 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाएगा। पहले यह औपचारिक रूप से होता था, लेकिन इस बार इसे आंदोलन के रूप में आयोजित किया जाएगा।
गांव-गांव में मानव श्रृंखला बनाई जाएगी। गगन ने कहा कि इस बार यह ऐतिहासिक होगा। इसमें महागठबंधन के अन्य दल भी शामिल होंगे। जाहिर है महात्मा गांधी की शहादत को याद करते हुए भाजपा और आरएसएस निशाने पर होंगे।
जदयू ने उमेश कुशवाहा को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर संदेश दे दिया है कि वह सिर्फ सरकार बनाकर संतुष्ट नहीं है। वह अपना राजनीतिक आधार विस्तृत करना चाहता है। जदयू की बैठक में पिछले चुनाव में हार के लिए कई प्रत्याशियों ने लोजपा के साथ ही भाजपा को भी आड़े हाथों लिया। जदयू नेतृत्व को भी पता है कि चुनाव में उसके साथ क्या हुआ और सिर्फ 43 विधायक होने के कारण कल स्थितियां प्रतिकूल भी हो सकती हैं।
इसी बीच भाजपा की बैठक भी राजगीर में हुई। वहां से कहा गया कि राज्य में उनकी सरकार पांच साल चलेगी। यह बयान औपचारिक लगता है। रविवार को पटना महानगर की बैठक को संबोधित करते हुए भाजपा के बड़े नेता सुशील कुमार मोदी ने एक महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा कि 15 जनवरी के बाद अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह का अभियान चलेगा। स्पष्ट है भाजपा भी अपना जनाधार पुख्ता करने जा रही है।
15 जनवरी के बाद एनडीए और महागठबंधन के बीच नया राजनीतिक युद्ध देखने के लिए तैयार रहिए।