RJD 1990 की राजनीति की और लौटने को तैयार है ?
2020 चुनाव हुए सवा साल हो चुके हैं. अब RJD आगे की राजनीति के लिए अपनी रणनीति में व्यापक बदलाव करने जा रहा है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का यही संकेत है.
राष्ट्रीय जनता दल RJD ने बीते दिनों पटना में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में धर्मनिरपेक्षता व समाजवाद के दो सूत्री आइडियोलॉजी को और मजबूती से आगे बढ़ाने की तैयारी का संकेत दिया है. पार्टी यह कभी नहीं भूल सकती कि उसका वजूद धर्मनिरपेक्षता व समाजवाद है. लिहाजा इससे भटकाव का कोई सवाल नहीं है.
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने संबोधन में इन बातों पर जोर भी दिया. लालू प्रसाद ने कहा कि उनकी पार्टी की औकात, किसी भी अन्य पार्टी से ज्यादा है. जाहिर है उनका इशारा साफ है. वह कहते हैं हम किसी भी कीमत पर अपनी विचारधारा से समझौता नहीं कर सकते. पहले भी कभी समझौता नहीं किया.
दर असल लालू प्रसाद का इशारा स्पष्ट है कि वह नीतीश कुमार के ‘नकली समाजवाद’ को महज झांसा समझते हैं. उन्होंने अपने संबंधोन में भले ही नीतीश का नाम न लिया पर जब तेजस्वी ने अपनी बात रखी तो समाजवाद की परिभाषा की अपनी लकीर स्पष्ट कर दी. साथ ही वह नीतीश का नाम लेने कतराये भी नहीं. उन्होंने जातीय जनगणनना पर नीतीश कुमार के रवैये को उजागर करते हुए साफ कह डाला कि समाजवादी का चोगा पहनकर कोई समाजवादी नहीं बन जाता!” तेजस्वी ने कहा अगर नीतीश कुमार में ईमानदारी होती तो अब तक राज्य सरकार की ओर से जातिगत जनगणना प्रारंभ हो चुका होता! पर BJP की बैसाखी पर टिके, संघ की गोद में बैठे डरपोक और लाचार नीतीश कुमार में समाजवादियों वाली हिम्मत कहाँ!
लालू ने क्यों कहा जेल जाने को तैयार रहिए
लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के बयानों में छिपे बिटविन द लाइन का संदेश यही कहता है कि पिछले छह-सात महीने से नीतीश कुमार ने जातीय जनगणनना पर विपक्षी दलों को ले कर प्रधान मंत्री से मिलना व विधान सभा से इस संबंध में प्रस्ताव पारित करवाने के पीछे नीतीश की मंशा झांसा देने वाला ही रहा है.
इस लिए पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में उठाये गये मुद्दों से यह साफ हो चुका है कि लालू प्रासद यह तय कर चुके हैं कि अब संघर्ष के मार्ग पर जाना होगा- मलतब नीतीश पर भरोसा नही किया जा सकता. और न ही जोड़-तोड़ के सहारे राजद की सरकार बनाने के लिए इंतजार किया जा सकता है.
तभी तो लालू ने अपने संबोधन में कहा भी कि हमारे कार्यकर्ता जेल जाने के लिए तैयार रहें. इसके लिए उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों की मिसाल दी. कहा कि हमने संघर्ष किया तो हमारी पार्टी काफी बुलंदी तक पहुंची.
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समजावाद के बाद लालू का सबसे बड़ा जोर धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत पर रहा. उन्होंने बीते वर्षों में दिये गये अपने बयानों को याद करते हुए कहा कि भाजपा की साम्प्रदायिक राजनीति देश को तोड़ने वाली है. अब देश को टूटने और बंटने के संकेत मिलने लगे हैं. मंदिर-मस्जिद और साम्प्रदायिकता से लड़ने के लिए जेल में जाने की नौबत आयी तो हमें तैयार रहना होगा. और तब हमारी पार्टी की औकात भी बढ़ेगी और जनाधार भी बढ़ेगा. क्योंकि देश की अधिसंख्य जनता हमारे विचारों के साथ है.