काराकाट में एनडीए प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा के साथ खेला हो गया है। यहां वे आज की तारीख में तीसरे नंबर पर चल रहे हैं। यही नहीं आरा और बक्सर में भाजपा की सीटें फंस गई हैं। हालत यह है कि ये तीनों सीटें एनडीए से निकल कर इंडिया गठबंधन के पास जा सकती हैं।
इन तीनों सीटों में राजपूतों का उभार दिख रहा है। इससे आरा में भाजपा को फायदा हो रहा है, लेकिन काराकाट और बक्सर में नुकसान हो रहा है। आरा के राजपूत मतदाता भाजपा के आरके सिंह के साथ हैं, लेकिन इसी जाति के मतदाता काराकाट में पवन सिंह का साथ दे रहे हैं, तो बक्सर में राजद प्रत्याशी सुधाकर सिंह के साथ दिख रहे हैं।
आरा में राजपूतों के अलावा सवर्ण मतदाताओं का वोट भाजपा को वोट मिल रहा है। हालांकि राजपूतों को छोड़कर अन्य सवर्णों में उदासी देखी जा रही है। भाजपा के सामाजिक आधार में यहां स्पष्ट बिखराव दिख रहा है। सोन और गंगा किनारे के मल्लाह इस बार इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी सुदामा प्रसाद के साथ हैं। पिछली बार मल्लाहों का वोट भाजपा को मिला था। सुदामा प्रसाद हलवाई जाति के हैं और इस जाति का समर्थन भी इंडिया गठबंधन के साथ है। हलवाई समाज ने भी पिछली बार भाजपा को वोट दिया था। कुशवाहा समाज उपेंद्र कुशवाहा के साथ खेला किए जाने से नाराज है। इस समाज का बड़ा हिस्सा भी इंडिया गठबंधन के साथ जा रहा है।
इसी तरह बक्सर में भाजपा प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी गंगा उस पार गोपालगंज के रहने वाले हैं। इससे भाजपा समर्थकों में नाराजगी है। पिछली बार अश्विनी चौबे भी बाहरी थे। वे बहुत कम ही बक्सर आए। आए भी तो पांच छह लोगों से ही घिरे रहे। वहीं सुधाकर सिंह स्थानीय हैं। उन्हें जाति का समर्थन मिलने के साथ ही भाजपा के बाहरी प्रत्याशी से नाराज भाजपा समर्थकों का भी साथ मिल रहा है।
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काराकाट में पवन सिंह को वही वोट मिल रहा है, जो एनडीए का है। एनडीए का वोट पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा में बिखर गया है, जबकि इंडिया गठबंधन के वोटों में कोई बिखराव नहीं है। यहां गठबंधन के प्रत्याशी राजाराम सिंह भी कुशवाहा हैं।