RSS को परास्त करने के लिए हजारों संगठन बनाने होंगे : प्रो. कादरी

सिटीजन्स फोरम, पटना ने ‛समकालीन भारत में साम्प्रदायिकता और धार्मिक उन्माद की चुनौतियां एवं हमारा दायित्व’ विषय पर किया विमर्श का आयोजन।

आज पटना में सिटीजन्स फोरम ने ‛समकालीन भारत में साम्प्रदायिकता और धार्मिक उन्माद की चुनौतियां एवं हमारा दायित्व’ किया। इस अवसर पर प्रो. सफदर इमाम कादरी ने कहा कि भारत का संविधान हर नागरिक को अपने तरीके से जीने का अधिकार देता है। जो लोग धर्म नहीं मानते, उनके लिए भी संविधान में हक़ है। अभी हमें हजारों संगठन की जरूरत है। यदि हम वैचारिक रूप से काम करेंगे, तभी आरएसएस की गलत विचारों का विरोध कर उसे परास्त कर सकते हैं।

सीपीआई नेता जब्बार आलम ने कहा कि साम्प्रदायिकता गंभीर विषय है। साम्प्रदायिकता पूंजीवाद का हथियार है। पूंजीवाद से लड़कर ही साम्प्रदायिकता को परास्त कर सकते हैं। सीपीआई (एमएल) नेता अरविंद सिन्हा ने बताया कि मध्यवर्ग के भीतर साम्प्रदायिक रुझान बढ़ा है। कॉरपोरेट घराने साम्प्रदायिक शक्तियों से मिल गए हैं।

एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) के नेता अरुण कुमार सिंह ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब है, जिसे धर्म मानना है माने, जिसे नहीं मानना है, न माने। सामाजिक आंदोलन से ही साम्प्रदायिकता पर चोट की जा सकती है। राजनीतिक कार्यकर्ता नरेंद्र कुमार ने कहा कि जब पूंजीवाद के खिलाफ लड़ाई पीछे गई, तभी सम्प्रदायवाद बढ़ा।

पद्मश्री सुधा वर्गीज ने कहा, मुस्लिम महिलाओं ने सीएए, एनआरसी विरोधी आंदोलन में बढ़कर हिस्सा लिया, इसलिए भी उनपर हमला बढ़ा है। शिक्षक नेता प्रो. अरुण कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय में आरएसएस के लोगों को भरा जा रहा है। उनमें कोई योग्यता नहीं है, फिर भी।
समता सद्भाव पार्टी के नेता अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि हमारे प्रैक्टिस में लोकतंत्र है। और यह रहेगा।

उन्होंने क्यों कहा- ‘पूरब में सबसे बुरा हाल बाभनों के लौंडों का है’

By Editor


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