SaatRang : हिंसा की शक्ति से बड़ी है अहिंसा और मैत्री की शक्ति

पद्मश्री आचार्य चंदना जी ने कहा कि आज हम ज्वालामुखी के मुंह पर खड़े हैं। कहा-हिंसा की शक्ति से बहुत ताकतवर है अहिंसा और मैत्री। मनुष्य से प्रेम पर दिया जोर।

कुमार अनिल

जैन धर्म की पहली महिला आचार्य, मानवसेवा में लगे वीरायतन की संस्थापक पद्मश्री आचार्यश्री चंदना जी (ताई मां) ने कहा कि आज हम ज्वालामुखी पर खड़े हैं। कब किसका दिमाग खराब हो जाए, क्या कर दे, कहा नहीं जा सकता। सिर्फ रूस-यूक्रेन की बात नहीं है, यह आग दुनिया के कई देशों जल रही है। ऐसे समय में अहिंसा की आवाज छोटी जगह सीमित रहे, यह ठीक नहीं। सिर्फ जैन ही नहीं, अनेक लोग अहिंसा में व्शिवास करते हैं, सबको साथ लेकर प्रयास हो कि युद्ध बंद हो। किसकी गलती है, हमें इसमें नहीं पड़ना। बस युद्ध बंद होना चाहिए।

भगवान महावीर जयंती और साथ ही पद्मश्री सम्मान मिलने के उपलक्ष्य में जैन समाज द्वारा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने मनुष्य से प्रेम पर जोर दिया। कहा, जो मनुष्य से प्रेम नहीं कर सकता, वह दुनिया से, पेड़-पौधों से, लाखों जीवों से क्या प्रेम करेगा! उन्होंने कहा कि कुछ न कर सको, तो सबसे मैत्री करो।

आचार्यश्री चंदना जी ने बिहार के जमुई जिले के लछुवार में वीरायतन स्कूल का अनुभव सुनाया। कहा कि वहां उन्होंने बच्चों से पूछा कि बड़े होकर क्या बनना चाहते हो, तो बच्चों ने कहा कि वे भगवान महावीर बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि किसी का धर्म परिवर्तन नहीं किया, पर संस्कार परिवर्तन किया। आज हजारों बच्चे भगवान महावीर की अहिंसा, मैत्री और शाकाहार के रास्ते पर चल रहे हैं। लछुआर का यह अनुभव बहुत विशेष है। जिस इलाकों में कभी बंदूकें गरजती थीं, आज वहां के बच्चे मनुष्य से प्रेम तथा अहिंसा की राह पर चल रहे हैं।

आचार्यश्री ने मानव सेवा और खासकर कमजोर और असहाय लोगों की सेवा पर जोर दिया।

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By Editor


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