बिहार के सैकड़ों अनुसूचित जाति-जन जाति सरकारी कर्मियों ने बिहार सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूक दिया है. पटना में आयोजित सम्मेलन में नीतीश कुमार को सबसे बड़ा दलित विरोधी मुख्मंत्री घोषित किया गया जो जिसे चाहता है अनुसूचित जाति में शामिल कर देता है.
आरक्षण बचाओ संविधान बचाओ सम्मेलन का आयोजन रविवार को पटना में अनुसूचित जाति और जनजाति कर्मचारी संघ ने किया. सम्मेलन की अध्यक्षता हरिकेश्वर राम ने किया. संचालन ओम प्रकाश मांझी ने किया.
   इस अवसर पर सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए हरिकेश्वर राम ने कहा कि  मुख्यमंत्री की कथनी और करनी  में काफी फर्पक है.  वक्ताओं ने कहा कि सीएम  बात करते हैं आरक्षण कोई छीन नहीं सकता लेकिन उन्होंने स्वयं हजारों आरक्षित कोटे की नौकरियों की लूटपाट की है। वे घडियाली आंसू बहाने वाले महारथी हैं। सामान्य प्रशासन विभाग बिहार सरकार का निर्गत परिपत्र इसका ज्वलंत उदाहरण है।
 
 
   सम्मेलन के बाद जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि   नितीश कुमार से बड़ा कोई दलित विरोधी मुख्यमंत्री नहीं। जिस जाति को चाहते हैं उसे अनुसूचित जातियों में शामिल कर अधिसूचना जारी कर देते हैं। जब कि अनुसूचित जातियों में शामिल करना राज्य सरकार के अधिकारों में शामिल नहीं है। इसकी अधिसूचना राष्ट्रपति द्वारा जारी की जाती है। नीतीश कुमार का यह कार्य अपराधिक श्रेणी के साथ ही दलित विरोधी है ।यह कार्य वोट के लिए उस जाति को रिश्वत देने जैसा है।
 
 
इस अवसर पर वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि बिहार सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के छात्रों की छात्रवृत्ति को बंद कर दिया है। बैंक से लोन लेने को कहा जाता है। यह समाज के युवाओं का भविष्य चौपट कर दिया है।
 
सम्मेलन निजी क्षेत्रों में आरक्षण की व्यवस्था लागू करने में नीतीश कुमार के डींगहांकू और डपोरशंखी वक्तव्यो पर कई वक्ताओं ने कटाक्ष किया कि वे किससे कह रहे हैं? बिहार सरकार की कुर्सी पर वे स्वयं हैं और केंद्र की सरकार भी उनके सहयोगी दल की है। वे किसे मूर्ख बना रहे हैं। जनता चुनाव में उनके कुकृत्यों की सज़ा देगी।
सम्मेलन में बिहार के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी  ने नीतीश कुमार को दलित विरोधी मुख्यमंत्री घोषित किया.
 
वक्ताओं में ओमप्रकाश मांझी, देवेन्द्र रजक महासचिव,अनुसूचित जाति/जनजाति कर्मचारी संघ बिहार, प्रेम चंद मोतिहारी जिलाध्यक्ष, हरिकेश्वर राम,उपाध्यक्ष बिहार, रामसूरत राम, जिलाध्यक्ष भभुआ समेत अनेक अधिकारी व कर्मी शामिल थे.
 
मांझी ने कालेजियम सिस्टम पर कड़ा प्रहार करते हुए संविधान के अनुच्छेद 312 के प्रावधान के अनुसार भारतीय न्यायिक सेवा के गठन एवं उसमें आरक्षण लागू करने की मांग की।
 
 
वीरेन्द्र कुमार उपाध्यक्ष बिहार एवं बिहार के विभिन्न सभी जिलों से आए अध्यक्षों ने अपने विचार व्यक्त किये.
 
 
बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष श्री उदय नारायण चौधरी अचानक सभा में आए । उन्होंने अनुसूचित जाति और जनजाति कर्मचारी संघ बिहार के सभी मांगों का समर्थन किया और कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार दलित विरोधी है। बिहार लोक सेवा आयोग में अनुसूचित जाति का प्रतिनिधित्व नहीं देने पर भी नितीश कुमार की कड़ी निदा की गई।

By Editor