साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के अध्यापकों के निलंबन के खिलाफ पटना में सभा
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के अध्यापकों के निलंबन के खिलाफ पटना में सभा। अध्यक्षता माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव, पूर्व सांसद शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने की।
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली में छात्रों के हक की आवाज उठाने वाले चार प्राध्यापकों को गलत ढंग से निलंबित किये जाने के खिलाफ प्रतिरोध सभा का आयोजन पटना के जमाल रोड स्थित शिक्षक संघ भवन में किया गया। अध्यक्षता बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव एवं पूर्व सांसद शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने की।
सभा का संचालन करते हुए संस्कृतिकर्मी अनीश अंकुर ने बताया-वहाँ छात्र स्नाकोत्तर और पीएचडी में फेलोशिप बढ़ाने की माँग लंबे समय कर रहे हैं। फेलोशिप एमए में सात हजार और पीएचडी की फेलोशिप 31500 रुपया करने की मांग है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों की माँगों पर ध्यान देने के बदले पुलिस दमन का सहारा लिया। इन चार प्राध्यापकों पर इन छात्रों को आंदोलन के लिए भड़काने का आरोप है और मार्क्सवादी अध्ययन केंद्र संचालित करने का भी आरोप लगा कर निलंबित कर दिया गया। इनके लैपटॉप, ,पहचानपत्र ले लिया गया। फैक्ट फाइंडिंग कमिटी के सामने 132 से 246 सवालों का जवाब हाथ से लिखकर देने जैसी अपमानित करने वाली शर्त रखी गई।
विश्वविद्यालय व महाविद्यालय शिक्षक संघ ( ए.आई. एफ.यू.सी.टी.ओ ) के राष्ट्रीय महासचिव प्रो अरुण कुमार ने कहा-यह सब नई शिक्षा नीति के कारणों से किया जा रहा है। विश्विद्यालय का बजट कम किया जा रहा है। हमलोग इस सवाल को लेकर 1अगस्त को बड़ा विरोध करेंगे साथ ही 13 सितम्बर को दिल्ली में प्रदर्शन होगा।
प्राच्य प्रभा के संपादक विजय कुमार सिंह ने कहा शिक्षक की लड़ाई हम लोग लड़ रहे है बिहार में भी 4 वर्षीय स्नातक कोर्स को लागू किया जा रहा राज्यपाल कुछ बोल रहे है जबकि बिहार सरकार कुछ बोल रही है। बिहार में राज्य सरकार शिक्षक नियमावली के माध्यम से वही एजेंडा आज बढ़ाया जा रहा है।
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी की छात्रा मनु ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया विश्विद्यालय में लोकतांत्रिक माहौल नही है इस विश्विद्यालय में कई सार्क देशों के गरीब छात्र पढ़ने आते है जिनकी आर्थिक हालात बहुत कमजोर होती है।ऐसे गरीब छात्रों के लिए स्कॉलरशिप जरूरी है। ये चारों शिक्षक छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय रहे है।
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज के पटना सेंटर के चेयरपर्सन रहे पुष्पेंद्र ने कहा ” देश के सभी लगभग सभी विश्विद्यालय की यही हालत है। निलंबन हटाने की लड़ाई को आक्रामक तरीके से लड़ना होगा। मैं टाटा में काम करता रहा हूं यहां के पाठ्यक्रम में ही रहा करता है की पढ़ाई के अलावा समाज में हो रहे अन्याय, जुल्म आदि के खिलाफ संघर्ष में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना है । जब TISS के कुलपति परमेश्वरन हुआ करते थे तो अपने जब संस्थान का छात्र आंदोलन में थाना चला जाता था तो वे खुद उसके जमानत करवाकर लाया करते थे । लेकिन भारत नरेंद्र मोदी के आने के बाद उच्च शिक्षा की स्थिति बदतर होती चली गई है । अब विश्विद्यालयों से कहा जाता है को आप अपना खर्च खुद जुटाइए सरकार मदद नहीं करेगी।”
सभा को ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस ( AITUC) के महासचिव अजय कुमार, मज़दूर पत्रिका के पार्थ सरकार, बिहार प्राथमिक शिक्षकों के नेता भोला पासवान, अखिल भारतीय मैत्रीशांति संघ ( ISCUF ) के महासचिव रविंद्र राय सहित अनेक वक्ताओं ने दिल्ली के शिक्षकों के साथ एकजुटता प्रकट की।
अब शादी में हर्ष फायरिंग हुई, तो दूल्हे के बाबू भी जाएंगे जेल