पटना मुशायरा में बेहतरीन परफॉर्मेंस दूंगा, लंबे समय तक लोग करेंगे याद : मेहशर अफरीदी

पटना मुशायरा में बेहतरीन परफॉर्मेंस दूंगा, लंबे समय तक लोग करेंगे याद : मेहशर अफरीदी। कहा कि उर्दू साहित्य को बढ़ावा देने के लिए खुर्शीद अहमद की सकारात्मक सोच।

मुशायरे की दुनिया में एक बड़ा नाम मेहशर अफरीदी का है, जिनकी प्रसिद्धि न सिर्फ फिल्मी दुनिया में बल्कि देश-विदेश में भी है। मेहशर अफरीदी को 13 अगस्त 2023 को बिहार के अज़ीमाबाद में अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक संगठन अंदाज़ ए बयां और दुबई और पीएलएफ पटना लिटरेरी फेस्टिवल तथा क़ौमी तंजीम पटना के सहयोग से आयोजित होने वाले मुशायरे में आमंत्रित किया गया है।

डायलॉग राइटर भी हैं मेहशर अफरीदी, मुंबई में रहते हैं

मेहशर अफरीदी ने मुशायरे के सिलसिले में पीएलएफ पटना लिटरेरी फेस्टिवल के मीडिया प्रतिनिधि मुहम्मद असलम से बात करते हुए कहा कि मैं उत्तराखंड के रूड़की के रहने वाला हुँ और मुंबई में रहता हुँ। नाम सफदर आजम खान है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह कई वर्षों से डायलॉग राइटर के रूप में काम कर रहे हैं और प्रमुख सम्मेलनों और सेमिनारों में भी भाग लेते रहे हैं.

यूके, यूएई, कतर, बहरीन, ओमान में दिखा चुके हैं जलवा

दर्शकों का दिल जीतने वाले मशहूर शायर मेहशर अफरीदी तहजीब व अदब का गहवारा अज़ीमाबाद पटना की धरती पर 13 अगस्त को आयोजित होने वाले मुशायरा में भाग लेने के संबंध में उन्होंने कहा कि यह सौभाग्य है कि इस नाचीज को मुशायरा में आमंत्रित किया गया। उन्होंने कहा कि पटना में यह मेरा पहला मुशायरा होगा। मेहशर अफरीदी ने कहा कि यूके, यूएई, कतर, बहरीन, ओमान जैसे देश विदेश के अलावा प्रमुख राष्ट्रीय स्तर के मुशायरों में भाग लिया है। मैं अपने वतन के मुशायरों में भी शामिल हुआ हूं।

13 अगस्त को सजेगी अंदाज-ए-बयां दुबई व PLF की शानदार महफिल, होगा भव्य मुशायरा

बचपन से साहित्यिक माहौल मिला

श्री मेहशर साहब ने अपनी शायरी की टर्निंग प्वाइंट के बारे में कहा कि जब मैं छठी-सातवीं कक्षा में पढ़ता था, उस समय एक शौकिया शायर मुख्तार साहब, ड्राइंग टीचर थे, उनकी एक ग़ज़ल पत्रिका में छपी थी, जिसे पढ़ने के बाद काफ़ी प्रभावित हुआ। मुझे ग़ज़ल काफ़ी अच्छी लगी। उन्होंने कहा कि मेरे मामु शम्स देवबंदी भी उसी दौर के शायर रहे हैं। उन्होंने अपनी लिखी एक गजल सुनाई तो बोले, मियां आप भी शायरी का शौक रखते हैं।उस वक्त मैं मामु की शायरी सुना करता था। जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ परवान चढ़ता गया।मेहशर साहब ने कहा कि मेरी शायरी की दुनिया में कोई उस्ताद नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि उर्दू शुरू से ही पढ़ा और उर्दु, में मास्टर डिग्री की। उनकी एक कविता देखें।

मेरा मेयार जो भी है, मेरा क़द के बराबर है।
कोई उस्ताद था मेरा ना मेरा कोई गॉडफादर है।

राष्ट्रीय मुशायरे के बारे में उन्होंने कहा कि पहला अखिल भारतीय मुशायरा 1992 में काशीपुर, उत्तराखंड में पढ़ा था। इस मुशायरे में मौज रामपुरी, आज़ाद गलाठी, अख्तर नजमी ग्वालियरी थे, ये नाम आज भी याद हैं।
जबकि 2012 में जेद्दा से आए निमंत्रण पत्र को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता का हिस्सा बताया। तब से विकास की यात्रा तेज हो गई है। मैं कई बार खाड़ी देशों में गया हूं।

18 बार दुबई के मुशायरे में ले चुके हिस्सा

दुबई के मुशायरे में शायद 18 बार हिस्सा लिया हूं। शायरी के बारे में उन्होंने कहा कि इन 11 सालों का नतीजा है कि दुनिया मुझे शायर मेहशर अफरीदी के नाम से जानती है। उससे पहले मेरी कोई पहचान नहीं थी. उन्होंने कहा कि नाजिम मुशायरा मेरे बारे में कहते है कि मैं पहला शायर हूं जो विदेश से भारत आया. पटना में आयोजित होने वाले मुशायरा की तैयारी के संबंध में उन्होंने कहा कि हर शायर अपनी बेहतरीन प्रस्तुति देता है. क्योंकि मैंने हमेशा अंदाज़ ए बयां और के मुशायरे में भाग लिया है और मेरे पास कई ताज़ा कलाम और ग़ज़लें हैं। मैं सर्वश्रेष्ठ उल्लेखनीय और प्रदर्शन देना चाहूंगा ताकि लोग इसे लंबे समय तक याद रखें। ताकि मेरी ग़ज़ल सुनकर दूसरे संगठन मुझे मुशायरे के लिए बुलाएं.

उर्दु अदब के विकास के लिए खुर्शीद अहमद का बड़ा योगदान

13 अगस्त को पटना में अंदाज़ ए बयां और व पीएलएफ द्वारा आयोजित होने वाले मुशायरे के बारे में उन्होंने कहा कि पीएलएफ सचिव जनाब खुर्शीद अहमद साहब से उनकी अच्छी बातचीत हुई।इस से अंदाज़ा होता है कि एक सफल मुशायरा होगा। उर्दु अदब के विकास के लिए खुर्शीद अहमद की सकारात्मक सोंच है। उनके लिए मुबारक बाद व नेक खाहिशात। अंदाज़ ए बयां और के प्रोमोटर रेहान साहब और साज़िया सिद्दीकी से परिचित हूं, अंदाज़ ए बयां और वैश्विक स्तर पर सबसे अच्छा और बड़ा मंच है। दोनों बहुत सक्रिय व्यक्तित्व हैं। यह उन दोनों के प्रयास और व्यक्तिगत मेहनत का ही नतीजा है कि उन्होंने पटना में कदम रखा है। यहाँ हर आदमी का सपना होता है कि अंदाज़ ए बयां और में मैं मुशायरा पढूं।वे बहुत अच्छा कर रहे हैं। वे पहले कोलकाता में और फिर लखनऊ में मुशायरा का आयोजन कराए। अब वे पटना में मुशायरा कर रहे हैं। इसके अलावा वे अमेरिका आदि अन्य देशों में भी जा रहे हैं जहां वे अपनी पहचान स्थापित कर रहे हैं। दोनों को बधाई और शुभकामनाएं। प्रसिद्ध शायर मेहशर अफरीदी 13 अगस्त को रॉयल बिहार होटल, पटना में आयोजित मुशायरे की शोभा बढ़ाएंगे। मेहशर अफरीदी के ग़ज़ल की चंद पंक्तियाँ:-

मियां वह दिन गए अब ये हिमाक़त कौन करता है
वह किया कहते हँ इसको हां मुहब्बत कौन करता है
……………..
कोई गम से प्रेशाँ है, कोई जन्नत का तालिब है

गर्ज़ सजदे कराती है, इबादत कौन करता है।

अभी उड़ते नहीं तो फाख्ता के साथ है बच्चे
अकेला छोड़ देंगे माँ को, जिस दिन पर निकल आए।

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