योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया को क्यों कहा बेलगाम घोड़ा
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया को बेलगाम घोड़ा कहा। इसे नियंत्रित करने के लिए ट्रेंनिग पर जोर दिया। इस बयान के क्या हैं मायने?
उत्तर प्रदेश में छह महीने बाद विधानसभा चुनाव है। उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक के अखबारों में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विज्ञापन खूब छपते हैं। पूरे-पूरे पन्ने का विज्ञापन छपता है। हाल में इंडिया टुडे में कई पन्नों का विज्ञापन छपा था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आईटी सेल के कार्यकर्ताओं से बात करते हुए कहा कि अखबारों और टीवी चैनलों के मालिक औद्योगिक घरानों के लोग होते हैं। लेकिन सोशल मीडिया का कोई मां-बाप नहीं है। यह बेलगाम घोड़ा है। इसे नियंत्रित करने के लिए विशेष ट्रेंनिग की जरूरत है। योगी आदित्यनाथ ने अखबारों को बेलगाम घोड़ा नहीं कहा, बल्कि सोशल मीडिया को बेलगाम घोड़ा कहा।
स्पष्ट है कि भाजपा को सोशल मीडिया से चुनौती मिल रही है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सोशल मीडिया से सतर्क नहीं रहे, तो ये मीडिया ट्रायल्स कर देंगे। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक यूपी के सीएम ने आईटी सेल के कार्यकर्ताओं से सोशल मीडिया में जवाब देने के लिए मुस्तैद रहने को कहा। विशेष ट्रेनिंग की जरूरत बताई।
योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया को बेलगाम घोड़ा कहा, पर इसे नियंत्रित करने के लिए किसी कड़े कानून की जरूरत नहीं बताई। मालूम हो कि पिछले दिनों तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
क्या कहता है मंडल दिवस पर उमड़ा जनसैलाब
मालूम हो कि इसी सोशल मीडिया ने कोविड की दूसरी लहर में यूपी में ऑक्सीजन की कमी से मरते लोगों के दर्द को सबके सामने लाया था। हालांकि बाद में केंद्र सरकार ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से कोई नहीं मरा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड की दूसरी लहर में यूपी के प्रबंधन को बेस्ट करार दिया। यह सोशल मीडिया ही था, जिसने प्रधानमंत्री के दावे की हवा निकाल दी। एक बार फिर से सोशल मीडिया पर वे तस्वीरें छा गई, जिसमें लोग ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे हैं।