खगड़िया नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को अचानक पटना मुख्यालय बुलाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. उनके परक्ष में पार्षद और कर्मचारी  गोलबंद हो गये हैं.

 

गौर तलब है कि 4 फरवरी को अचानक नगर विकास विभाग की अधिसूचना ईमेल से नगर परिषद खगड़िया पहुंची। 5 फरवरी की सुबह जब सफाई कर्मचारी नगर परिषद पहुंचे तो यह जानकर दंग रह गये.

सफाई कर्मियों ने आनन फानन में  मुख्यमंत्री को इस बात की शिकायत करने के लिए एक आवेदन डीएम को सौंपा है और आग्रह किया है कि 6 फरवरी को मुख्यमंत्री जी से उनलोगों को मिलने का मौका दें। आवेदन में सफाईकर्मियों ने लिखा है कि किस तरह कार्यपालक पदाधिकारी महेश्वर सिंह ने  उनलोगों का जीवन स्तर उठाने के ठोस प्रयास किये। बिहार का पहला नगर निकाय है जहां वेतन या किसी अन्य मांग को लेकर कर्मियों की हड़ताल नहीं हुई।

श्री सिंह ने उनलोगों के बच्चों को पढ़ने के लिए स्लेट पेंसिल दिये तो नहाने के लिए साबुन और पहनने के लिए वर्दी और गर्म कोट तक दिये।  कर्मियों का कहना है कि शहर के विकास के लिए वह घंटों देर रात तक काम करते थे।  सबके साथ समन्वय बनाकर काम किया। यह पहला मौका होगा कि किसी अधिकारी के लिए पार्षद,कर्मचारी और स्वीपर सभी एकजुट हुये हों। आवेदन की प्रति मंत्री, प्रधान  चिव को भी दी गई है। बताया जाता है कि विभागीय मंत्री सम्राट चैधरी इस जिला के परबत्ता से विधायक हुआ करते थे।

लेकिन उनकी दाल खगड़िया में नहीं गल रही थी। हाल में ठेका पर मानव संसाधन एजेंसी के माध्यम से कर्मियों को पूरे बिहार के नगर निकायों में योगदान कराया गया लेकिन खगड़िया नगर परिषद ने नियम कानून का हवाला देकर ऐसा काम नहीं किया। इतना ही नहीं परिषद की सशक्त स्थायी समिति ने एक प्रस्ताव पारित कर विभाग के इस कार्य को गैर संवैधानिक बताया था।

इसके अलावा खगड़िया के ही एक समाजसेवी और सूचना
अधिकार कार्यकर्ता मनोज कुमार मिश्रा ने पटना हाई कोर्ट में इस मामले में लोक हित याचिका संख्या 103-2015 दायर किया है और सूचना अधिकार कार्यकर्ता सह पत्रकार शैलेन्द्र सिंह तरकर ने नगर विकास विभाग में चल रहे भर्ती घोटाले में प्रधान सचिव को फैक्स भेजकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

By Editor