दिल्ली के निकट  दादरी इलाके में  भीड़ ने साजिदा के पिता को पीट कर मार डाला. आरोप है कि उसके घर में गोमांस था. वह कहती है बकरे के मांस को वे गोमांस बता रहे थे. जांच में यह सच साबित हो जाये तो क्या वे मेरे अब्बा को जीवित वापस कर देंगे?

बिलखता परिवार:फोटो गजेंद्र यादव, इंडियन एक्सप्रेस
बिलखता परिवार:फोटो गजेंद्र यादव, इंडियन एक्सप्रेस

 

अदिति वत्स, इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम

जैसे ही मंदिर से यह घोषणा की गयी कि उसके परिवार के लोग गोमांस खा रहे हैं, कुछ ही पल में एक भीड़ उसके घर पर पहुंचती है. घर को तहस-नहस करती है, कथित रूपसे उसके 50 वर्षीय पिता मोहम्मद अखलाक  को ईंट-पत्थरों से पीट कर हत्या कर देती है. उसका 22 वर्षीय भाई पर भी ईंट पत्थरों से वार किया जाता है और फिलहाल वह एक अस्पतला में मौत से जूझ रहा है.

साजिदा के सफेद सलवार- कमीज खून से रंगे हैं. वह अपने रिश्तेदार को फोन पर कहती है मैंने अपने अब्बा को खो दिया है, अब मैं अपने भाई को नहीं खो सकती. मेहरबानी करके कुछ भी करो और भाई को बचा लो.

ईंट पत्थरों से कूच कर की हत्या

साजिदा घर के कमरे में बिखरी ईंटों की तरफ इशारा करती है. बगल में रेफ्रीज्रेटर गिरा पड़ा है. फर्श पर खून के धब्बे लगे हैं. वह बताती है कि उन लोगों ने मेरे अब्बा को घसीटते हुए घर से बाहर निकाला. और उन्हें ईंट से मार-मार कर उनकी हत्या कर दी. फिर उन्होंने मेरे भाई को घसीटा और आंगन में ले गये. उसके सर पर भी ईंट से प्रहार किया गया. उसके सीने पर भी ईंट से हमला किया गया. वह बेहोश हो गया. फिर उन्होंने ने मेरे साथ छेड़-छाड़ करने की कोशिश की. मेरी दादी के मुंह पर मारा गया. उन्होंने मुझे धमकी दी अगर मैंने पुलिस से एक शब्द भी कहा तो मेरी हत्या कर दी जायेगी.

साजिदा कहती है-जब सारी वारदात खत्म हो गयी तो वहां पुलिस पहुंची. साजिदा कहती है. मंदिर से किया गया ऐलान अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि भीड़ उसके दरवाजे पर पहुंच गयी थी. तब रात के साढ़े दस बज रहे थे. उसके कुछ ही पल पहले मंदिर से ऐलान किया गया था कि हम लोगों ने एक गाय की हत्या की है. हमें पता भी नहीं चला कि मंदिर से क्या ऐलान किया जा रहा है. ऐलान अभी खत्म भी नहीं हुआ कि वे हमारे घर पर पहुंचे और दरावेजे तोड़ दिये. वे हमें गालियां दे रहे थे और कह रहे थे कि हमने अपने घर में गोमांस रखा है.

इस पहले कभी नहीं था तनाव

साजिदा बताती है कि उसका परिवार दशकों से वहां रहता है लेकिन कभी भी साम्प्रदायिक तनाव नहीं हुआ. हमारे घर में अकसर हिंदुओं को दावत दी जाती रही है. बकरीद के दिन भी हमारे घर लोग आये थे. लेकिन उस रात जब भीड़ मेरे घर पहुंची. उन्होंने फ्रीज खोला. उसमें बकरे का कुछ मांस पड़ा था. वे उस मांस को भी ले गये. वह बकरे के गोश्त को गोमांस बता रहे थे.

पुलिस ने उस मांस को बरामद करके जांच के लिए भेजा है.

 

साजिदा कहती है कि अगर जांच के बाद यह साबित हो जाये कि उसके घर में रखा मांस गाय का नहीं था तो क्या वे मेरे अब्बा को मुझे जीवित सौंप देंगे?

By Editor

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